नई दिल्ली, 27 दिसंबर: मणिपुर के लाईमाखोंग स्थित 57 माउंटेन डिंगिजन आर्मी कैंप से लापता कमल बाबू सिंह को लेकर असम और मणिपुरी समुदाय में चिंता गहराती जा रही है। गोसाईपुर (कछार जिला, असम) निवासी कमल बाबू सिंह, जो पिछले 20 वर्षों से आर्मी कैंप के अंदर एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के तहत काम कर रहे थे, 25 नवंबर को अचानक गायब हो गए।
परिवार ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट कछार जिले के पुलिस अधीक्षक के पास दर्ज कराई थी। लेकिन लापता हुए एक महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी किसी ठोस कार्रवाई की कमी ने मामले को और गंभीर बना दिया है।
मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा
दिल्ली स्थित संगठन असम त्रिपुरा मणिपुरी अपुनबा सूर (अतमल) ने इस मामले में असम के मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप की मांग की है। संगठन ने नई दिल्ली में आयुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। संगठन के संपादक इबेमचौबी सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा,
“हमने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वे कमल बाबू सिंह को ढूंढने में तत्काल कदम उठाएं। मुख्यमंत्री ने जब रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारतीय नागरिकों को सफलतापूर्वक स्वदेश लाने का नेतृत्व किया था, तो इस बार भी उनसे वैसी ही संवेदनशीलता की उम्मीद है।”
परिवार की व्यथा और मणिपुरी समाज का आह्वान
कांग्रेस नेता दा एम. शांतिकुमार सिंह ने मामले पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा,
“कमल बाबू सिंह की पत्नी इस समय मणिपुर में हैं और अपने स्तर पर उन्हें खोजने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन असम सरकार की ओर से इस मामले में ठोस कदम उठते नहीं दिख रहे। यह दुखद है कि परिवार को अभी तक किसी ठोस परिणाम का इंतजार करना पड़ रहा है।”
सकारात्मक कार्रवाई की अपील
समुदाय ने मुख्यमंत्री से इस मामले को प्राथमिकता देने और एक उच्चस्तरीय जांच सुनिश्चित करने की मांग की है। कमल बाबू सिंह के परिवार और मणिपुरी समाज को उम्मीद है कि असम सरकार इस दिशा में शीघ्र ही सक्रिय भूमिका निभाएगी।
लापता कमल बाबू सिंह का मामला न केवल उनके परिवार बल्कि मणिपुर और असम के सामाजिक संगठनों के लिए भी बड़ा मुद्दा बन गया है। सरकार के हस्तक्षेप से ही इस मामले का समाधान संभव हो सकता है।