कब है बिहू, क्यों मनाते हैं ये त्योहार, क्या है इसकी धार्मिक मान्यता?
बिहू असम का पारंपरिक त्योहार है, जिसे साल में 3 बार मनाया जाता है. हिंदी कैलेंडर के मुताबिक, वैशाख महीने के दौरान असम में बोहाग बिहू बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. दरअसल, ये त्योहार फसलों की कटाई से जुड़ा है. इसी त्योहार के जरिए यहां के किसान अच्छी फसल की पैदावार के लिए भगवान को शुक्रिया देते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ये अग्नि देव को समर्पित त्योहार है। लोहड़ी की तरह ही असम में माघ बिहू का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन लोग फसलों की कटाई करते हैं और अपने पशुओं की सेवा करते हैं. ये पर्व पूरे एक सप्ताह तक मनाया जाता है. इस पर्व से असम में नव वर्ष का प्रारंभ होता है।
बता दें साल की शुरूआत में जनवरी या माघ महीने के दौरान माघ बिहू मनाया जाता है. फिर अप्रैल में बोहाग बिहू और कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर) में काती बिहू मनाया जाता है. बोहाग बिहू 14 से 20 अप्रैल तक मनाया जाता है।
Bihu Festival 2025, Assam: पंजाबियों के लिए जैसे लोहड़ी का त्योहार होता है उसी तरह बिहू का त्योहार भी असम का सबसे प्रमुख त्योहार में से एक है. बिहू का त्योहार साल में तीन बार मनाया जाता है, ये त्योहार सबसे पहले जनवरी के महीने में आता है, जिसे भोगाली बिहू या माघ बिहू भी कहते हैं. उसके बाद बिहू का पर्व अप्रैल के मध्य में आता है, जो रोंगाली बिहू के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा तीसरी बार ये पर्व अक्टूबर में आता है, जो काती बिहू के नाम से भी प्रचलित है।

असम में नव वर्ष की असली शुरुआत इसी पर्व से मानी जाती है. इस त्योहार को असम के लोग पूरे सात दिनों तक मनाते हैं. इस पर्व में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं, जिन्हें भगवान को अर्पित किया जाता है. 2024 में 15 जनवरी को माघ बिहू का त्योहार मनाया जाएगा।
क्या है धार्मिक मान्यता?
बिहू के पर्व को असम के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. असम में इस दिन के साथ ही फसल की कटाई और शादी-ब्याह के शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो जाती है. जनवरी में भोगाली बिहू के पर्व को मकर संक्रांति के आस पास ही मनाया जाता है. बिहू के मौके पर किसान ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनके यहां भविष्य में फसलों की अच्छी पैदावार हो. इसके बाद पूरे एक हफ्ते तक इस त्योहार का सेलिब्रेशन होता है. तिल, नारियल, चावल, दूध का इस्तेमाल करके इस पर्व के खास मौके पर अलग -अलग तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं.
बोहाग बिहू असम में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है. माघ बिहू जहां सिर्फ फसलों की कटाई से जुड़ा पर्व है तो वहीं अप्रैल में मनाया जाने वाला बिहू फसलों की बुवाई-कटाई के अलावा नअए साल के आगमन का प्रतीक भी माना जाता है. पूरे असम में 7 दिनों तक चलने वाले बोहाग बिहू को बडे़ ही धूमधाम से मनाया जाता है.
कैसे मनाते हैं बोहाग बिहू
बोहाग बिहू 7 दिनों तक चलने वाले लंबा त्योहार है. इस पर्व की खास बात ये है कि इसमे परिवार के लोगों के साथ-साथ पालतू पशुओं को भी शामिल किया जाता है. बोहाग बिहू की शुरूआत के दिन लोग सुबह-सुबह उठकर हल्दी और कच्चे उड़द की दाल से उबटन तैयार करते हैं. असम के लोग इस उबटन को अपने शरीर पर लगाकर नहाते हैं. इसके बाद लोग अपने बडे़-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेने जाते हैं.
बनाए जाते हैं लजीज पकवान
बिहू में लजीज पकवान भी बनाए जाते हैं. इस मौके पर तील लारु, पिठा, मुरीर लारु, घिला पिठा और पोका मिठोई खाने की परंपरा है. हफ्तेभर तक चलने वाले इस त्योहार में लोग अलग-अलग दिनों में रंगोली भी बनाते हैं. शाम के दौरान महिलाएं मेहंदी लगाती हैं और लोकगीत गाती हैं. इस पर्व के दौरान महिला एवं पुरुष ढोल भी बजाते हैं.ऐसा माना जाता है कि इंद्र देव प्रसन्न होते हैं और वर्षा कर अच्छी फसल का वरदान देते हैं.
बिहू के पर्व में गाय की पूजा को विशेष माना जाता है, किसान अपनी गायों को नदी में ले जाकर उन्हें कच्ची हल्दी से नहलाते हैं. इस विशेष दिन की शुरुआत में गाय को नहलाने और उन्हें हरी सब्जियां जैसे लौकी, बैंगन खिलाने का रिवाज है. इसके पीछे असम के लोगों की धार्मिक मान्यता है कि अगर घर के पशु यानी गाय की सेहत सही रहेगी तो परिवार में भी सुख शांति का माहौल बना रहता है.




















