नई दिल्ली. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर अंतरिक्ष में इतिहास रच दिया है। स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पेडेक्स) मिशन के तहत स्पेसक्राफ्ट डॉकिंग की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर भारत ने अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इसरो ने अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को जोड़ने की इस जटिल प्रक्रिया को अंजाम देकर अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसा करने वाला चौथा देश बनने का गौरव प्राप्त किया है। इसरो ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए लिखा, “भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कर लिया है। स्पेडेक्स मिशन ने ‘डॉकिंग’ में ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की है। यह क्षण गर्व और खुशी का है।”
मिशन की प्रक्रिया
इसरो ने दो छोटे उपग्रहों, एसडीएक्स01 (चेज़र) और एसडीएक्स02 (टारगेट), को 24 पेलोड के साथ पीएसएलवी सी60 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया।
रॉकेट ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के लॉन्चपैड से उड़ान भरी।
15 मिनट बाद, लगभग 220 किलोग्राम वजन वाले इन उपग्रहों को 475 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया गया।
इसके बाद, स्पेस डॉकिंग की जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।
स्पेडेक्स मिशन का महत्व
स्पेडेक्स मिशन अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ तकनीक को विकसित करने के लिए एक किफायती और महत्वपूर्ण कदम है। यह तकनीक तब उपयोगी होती है जब किसी मिशन के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपण की आवश्यकता होती है।
इस तकनीक का महत्व भारत की अंतरिक्ष योजनाओं में बढ़ जाता है, जैसे:
चंद्रमा पर मिशन और वहां से नमूने वापस लाना।
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का निर्माण और संचालन।
भविष्य में अन्य जटिल अंतरिक्ष अभियानों के लिए तैयारी।
इस उपलब्धि के साथ भारत अब अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत रखते हैं। इसरो प्रमुख ने इस सफलता पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “यह भारत के अंतरिक्ष मिशन के लिए मील का पत्थर है। हमारे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और समर्पण से यह संभव हो पाया है।” इस सफलता के साथ भारत ने अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ और भविष्य की महत्वाकांक्षाओं को और सशक्त किया है।