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जो कार्यालय अच्छा काम कर रहे हैं, उन्हें पुरस्कृत किया जाना चाहिए- प्रतिनिधि क्षेत्रीय राजभाषा विभाग

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नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति शिलचर की 63वीं छमाही बैठक संपन्न
शिव कुमार शिलचर, 16 जनवरी: बैठक के मुख्य अतिथि क्षेत्रीय राजभाषा निदेशालय के प्रतिनिधि राम इकबाल यादव ने 63 छमाही बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि अब राजभाषा हिंदी में काम करना आसान हो गया है। अनुवाद के लिए कंठस्थ टूल है, शब्दों के लिए शब्द सिंधु है, एआई का उपयोग करके आसानी से हिंदी में काम कर सकते हैं। राजभाषा अधिनियम में स्पष्ट उल्लेख है प्रेरणा, प्रोत्साहन और पुरस्कार के द्वारा राजभाषा का अनुपालन किया जाता है। नराकास की छमाही बैठ के इसीलिए आयोजित की जाती है ताकि सदस्य कार्यालय एक दूसरे से संपर्क करके और अनुपालन में आने वाली बाधाओ को दूर कर सके, सीख सके। उन्होंने कहा कि जो कार्यालय अच्छा काम कर रहे हैं, उन्हें पुरस्कृत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि तिमाही रिपोर्ट समय से भेजनी चाहिए हिंदी सीखने के लिए ऑनलाइन भी व्यवस्था है।
भारत सरकार के गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग के तत्वावधान में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति शिलचर की अर्धवार्षिक बैठक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), शिलचर के अतिथि गृह में उत्साहपूर्वक आयोजित की गई। बैठक का आरंभ सभी अतिथियों के मंचासीन होने के साथ हुआ। तत्पश्चात, उन्हें सम्मान स्वरूप अंग वस्त्र प्रदान किए गए। बैठक में भारत सरकार के प्रमुख उपक्रमों, जैसे असम विश्वविद्यालय, एअरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया, जवाहर नवोदय विद्यालय, पंजाब नेशनल बैंक, केंद्रीय विद्यालय, भारतीय खाद्य निगम, ओएनजीसी, जीवन बीमा निगम, सीमा सुरक्षा बल, सीआरपीएफ, असम राइफल्स आदि के प्रतिनिधि उपस्थित थे। प्रतिनिधियों ने अपने-अपने कार्यालयों में हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु किए गए कार्यों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। इस दौरान हिंदी सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों और कार्यालयों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
नराकास शिलचर की 63वीं छमाही बैठक संपन्न
नराकास शिलचर की 63वीं छमाही बैठक संपन्न
नराकास की 63 में छमाही बैठक को संबोधित करते हुए सदस्य सचिव डॉक्टर सौरभ वर्मा ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि राजभाषा का अनुपालन हमारा संवैधानिक दायित्व है। इसी के लिए नरकास की स्थापना की गई। धारा 3(3) के अंतर्गत 14 दस्तावेज सभी के लिए अनिवार्य है। ऊपर में हिंदी लिखा होना चाहिए, अंग्रेजी का उपयोग नीचे किया जाए। माननीय प्रधानमंत्री जी का परामर्श है कि सरकारी और सामाजिक हिंदी के अंतर को काम किया जाए। हिंदी का अन्य भाषाओं से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, सभी भाषाओं को साथ लेकर चलना है। अन्य भाषा के लोकप्रिय शब्दों को हिंदी में जोड़ना है। व्यावहारिक और सरल शब्दों का प्रयोग राजभाषा अनुपालन के लिए जरूरी है।
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एनआईटी शिलचर के निदेशक और नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिलीप कुमार वैद्य ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा, राजभाषा हिंदी केवल भारत की पहचान नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक भी है। 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया, और तब से यह प्रशासन, शिक्षा, और सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। हिंदी के प्रचार-प्रसार और इसे अधिक से अधिक क्षेत्रों में लागू करने से न केवल हमारी भाषा समृद्ध होगी, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर और अधिक सशक्त और सम्मानजनक स्थान प्राप्त होगा।
डॉ. वैद्य ने हिंदी के प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, हमें हिंदी को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास करना होगा। जो लोग हिंदी में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं, वे सराहनीय हैं और हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। साथ ही, जिन कार्यालयों को कार्य करने में कठिनाई महसूस हो रही है, उन्हें छोटे-छोटे कदमों से शुरुआत करनी चाहिए। शुरुआत में अपने कार्यालयों के छोटे-छोटे कार्यों को हिंदी में करने का लक्ष्य बनाएं। कुछ न करने से बेहतर है कि थोड़ा-थोड़ा करना शुरू करें। सतर्क और निरंतर प्रयास ही सफलता की कुंजी है।
दैनिक प्रेरणा भारती के प्रकाशक श्री दिलीप कुमार ने भी बैठक में अपने विचार रखते हुए कहा, पहले की तुलना में आज हिंदी में काम करना बहुत आसान हो गया है। तकनीक ने भाषा सीखने और इसके उपयोग को सरल बना दिया है। अगर कोई व्यक्ति दृढ़ निष्ठा और इच्छाशक्ति से हिंदी सीखना चाहता है, तो यह आज तकनीकी संसाधनों की सहायता से बहुत सहज हो गया है। तकनीकी उपकरण और डिजिटल माध्यम हिंदी को और अधिक सुलभ बना रहे हैं।
जवाहर नवोदय विद्यालय पैलापुल काछाड़ के प्रधानाचार्य विश्वास राणा ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के द्वारा विद्यालय में चल रही हिंदी गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। विश्वास राणा ने बैठक में अपनी कविता और शेरो शायरी से उत्साह का माहौल बना दिया। उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर की कविता की पंक्तियां सुनाई- जिसने ना कभी आराम किया, विघ्नों में रहकर काम किया।। उन्होंने सिकंदर और चीनी यात्री फाह्यान का भी उदाहरण दिया।
भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण की सृष्टि कलवार ने अपने प्रस्तुति में विभाग की गतिविधियों पर प्रकाश डाला और बताया कि ट्विटर पर हिंदी में लिखा जा रहा है, हिंदी पखवाड़ा मनाया गया, पत्राचार एवं टिप्पणी उत्तरोत्तर बढ़ रही है, पिछले वर्ष चार तिमाही बैठकें हुई, चार कार्यशालाओं का आयोजन हुआ।
भारतीय खाद्य निगम के संदीपन बरठाकुर ने बताया कि उनके विभाग में हिंदी में 94% नोटिंग की जाती है। उनकी गृह पत्रिका बराक खाद्य मीमांसा-2 का प्रकाशन हो चुका है। हिंदी पुस्तकालय भी प्रारंभ किया गया है, बाकी सभी आवश्यक कार्य राजभाषा अनुपालन के लिए किए जा रहे हैं।
नराकास शिलचर की 63वीं छमाही बैठक संपन्न
नराकास शिलचर की 63वीं छमाही बैठक संपन्न
अन्य वक्ताओं में असम विश्वविद्यालय के हिंदी अधिकारी डॉ सुरेंद्र उपाध्याय, पंजाब नेशनल बैंक के मंडल हिंदी अधिकारी गुलशन कुमार, केंद्रीय विद्यालय शिलचर के प्रधानाचार्य किशोर कुमार पांडेय, जवाहर नवोदय विद्यालय हाइलकांदी की प्रधानाचार्या बंद्या श्रीवास्तव, बीएसएफ के सहायक कमांडेंट डॉक्टर प्रदीप चंद्र ने भी अपने-अपने विभाग की राजभाषा की गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान की। मंचासीन अतिथियों में एन आई टी के कुल सचिव डॉक्टर असीम राय, असम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर जयंत भट्टाचार्य भी शामिल थे।
बैठक में उपस्थित सदस्यों में एन आई टी के उप कुलसचिव निहारेंदु धर, राजीव कहार, केंद्रीय विद्यालय एन आई टी के प्रधानाचार्य सुनील गुप्ता, नवोदय विद्यालय पैलापुल के हिंदी अधिकारी विकास उपाध्याय, असम विश्वविद्यालय के पृथ्वीराज ग्वाला और संतोष ग्वाला, स्टेट बैंक के अजीत रंजन असम राइफल के लक्ष्मण रविदास मसीनपुर केंद्रीय विद्यालय के अनिल कुमार केंद्रीय विद्यालय सिकों के संदीप गुप्ता केंद्रीय विद्यालय संगठन के तरुणेश कुमार जीवन बीमा निगम के विप्लव पटवा भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अवधेश वर्मा नवोदय विद्यालय करीमगंज के संजीव भारतीय खाद्य निगम के विकास जायसवाल और प्रेरणा विश्वास तथा एन आई टी के नरेश जी और संतोष वर्मा आदि शामिल थे।
बैठक में उपस्थित सभी प्रतिभागियों ने हिंदी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और सुझाव दिया कि कार्यालयों में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए प्रोत्साहन योजनाएं बनाई जानी चाहिए। डॉ. वैद्य ने प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे हिंदी में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मियों को पुरस्कृत करें और कार्यालयों में अधिकाधिक हिंदी के उपयोग को प्रोत्साहित करें।
बैठक के समापन अवसर पर यह निर्णय लिया गया कि अगले सत्र में हिंदी के उपयोग में हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी। प्रतिभागियों ने यह संकल्प लिया कि वे हिंदी को न केवल प्रशासनिक भाषा के रूप में बल्कि राष्ट्रीय एकता और गौरव के प्रतीक के रूप में भी प्रोत्साहित करेंगे। इस अर्धवार्षिक बैठक ने हिंदी के महत्व, उसकी सांस्कृतिक पहचान और उसके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता को रेखांकित किया। यह चर्चा हिंदी को प्रशासनिक और सामाजिक जीवन के केंद्र में लाने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम सिद्ध हुई। सभी प्रतिभागियों ने हिंदी को सशक्त और प्रासंगिक बनाने के लिए ठोस कदम उठाने का संकल्प लिया।

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