धीरजीया देवी अपनी धार्मिक प्रवृत्ति और काली माता के प्रति अटूट भक्ति के कारण क्षेत्र में “काली माई” के नाम से प्रसिद्ध थीं। उनका जीवन आध्यात्म और सेवा का प्रतीक रहा, और उन्होंने अपने आसपास के गांवों में धार्मिक कार्यों से प्रेरणा दी।
स्वर्गीय धीरजीया देवी ने अपने पीछे एक विशाल परिवार छोड़ा है, जिसमें उनके छह पुत्र, दो पुत्रियां, चौदह पोते-पोतियां और चार प्रपौत्र-प्रपौत्रियां शामिल हैं। इसके अलावा, उनके असंख्य चहेते और शुभचिंतक भी हैं।
उनका अंतिम संस्कार 21 जनवरी, मंगलवार को उनके पैतृक गांव माछपाड़ा में संपन्न हुआ। लगभग 200 से अधिक लोगों ने उनकी अंतिम यात्रा में भाग लिया। श्रद्धालुओं और परिजनों ने भजन-कीर्तन के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी।
धीरजीया देवी के निधन से क्षेत्र ने एक ऐसी शख्सियत खो दी है, जो अपनी भक्ति और सादगी से सबके दिलों में बसती थीं। उनके आदर्श और आशीर्वाद परिवार और क्षेत्रवासियों को सदा प्रेरित करते रहेंगे।





















