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शिव कुमार शिलचर, 21 जनवरी 2025: असम विश्वविद्यालय ने अपने 32वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक भव्य और प्रेरणादायक समारोह का आयोजन किया। यह आयोजन विश्वविद्यालय परिसर के नेताजी सुभाष मुक्त मंच और बिपिन चंद्र पाल संगोष्ठी कक्ष में हुआ, जिसमें शिक्षाविदों, छात्रों, प्रशासकों, और समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भाग लिया। इस अवसर पर शिक्षा, शोध, नवाचार और समाज सेवा के नए आयामों पर चर्चा की गई।सुबह 9:30 बजे समारोह की शुरुआत नेताजी सुभाष मुक्त मंच पर हुई। एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री अरूप राहा और असम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजीव मोहन पंत ने विश्वविद्यालय का ध्वजारोहण किया। इसके बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा और शहीद मीनार पर पुष्पांजलि अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।इसके पश्चात कैंपस में छात्रों और शिक्षकों के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी और संसाधनों से सुसज्जित नई सुविधाओं का उद्घाटन किया गया। मुख्य कार्यक्रम बिपिन चंद्र पाल संगोष्ठी कक्ष में आयोजित हुआ। उद्घाटन सत्र में दीप प्रज्ज्वलन, व राष्ट्रीय गान के साथ कार्यक्रम की भव्य शुरुआत हुई।इस विशेष अवसर पर, देश के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों और सामाजिक हस्तियों ने अपने विचार रखे।पद्मश्री डॉ. रवि कन्नन, जो कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे, ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में समानता और समावेशिता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, शिक्षा और स्वास्थ्य दो ऐसे साधन हैं, जो समाज में समरसता और प्रगति ला सकते हैं। असम विश्वविद्यालय जैसे संस्थान न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता का प्रतीक हैं, बल्कि सामाजिक उत्थान में भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।
डॉ. डब्ल्यू. आर. रेड्डी (आईएएस, सेवानिवृत्त) ने अपने वक्तव्य में विश्वविद्यालय की प्रगति की सराहना करते हुए शोध आधारित नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, विश्वविद्यालय केवल शिक्षा के केंद्र नहीं हैं, बल्कि समाज की समस्याओं के समाधान में भी अहम भूमिका निभाते हैं। शोध आधारित समाधान से न केवल समाज बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं भी मजबूत होती हैं।
रोजकांडी चाय बागान के प्रबंधक श्री ईश्वरभाई उभाडिया ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बायोटेक्नोलॉजी, और कृषि जैसे क्षेत्रों में भविष्य के लिए अपार संभावनाएं हैं। इन क्षेत्रों में युवाओं की भागीदारी समाज और राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है।
केंद्रीय भंडार, भारत सरकार के डिप्टी जनरल मैनेजर श्री आलोक कुमार परही ने कहा कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल शैक्षणिक ज्ञान प्राप्त करना नहीं, बल्कि नैतिक मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारी को समझना है। उन्होंने कहा, एक विश्वविद्यालय का काम केवल शैक्षणिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह छात्रों के नैतिक और सामाजिक विकास का भी आधार होना चाहिए।
असम विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. राजीव मोहन पंत, ने पिछले वर्ष की उल्लेखनीय उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बताया कि विश्वविद्यालय ने 30 पेटेंट दर्ज किए और 1000 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए। उन्होंने कहा, हमारा लक्ष्य केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता प्राप्त करना नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देना भी है। हमारे शोध और नवाचार से हम देश और दुनिया की समस्याओं का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने विभिन्न संस्थानों के साथ हुए समझौता ज्ञापनों का भी उल्लेख किया, जो विश्वविद्यालय के छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवसर प्रदान करेंगे। उन्होंने ग्रामीण विकास, तकनीकी नवाचार और सामाजिक अनुसंधान के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया।दोपहर भोज के बाद आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में छात्रों ने अपनी अद्भुत प्रतिभा का प्रदर्शन किया। नृत्य, संगीत, और नाटकों ने इस आयोजन को जीवंत बना दिया। इस दौरान विश्वविद्यालय कई विभागों की पुस्तक का विमोचन भी किया गया।सम्मान समारोह में शिक्षकों और छात्रों को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों और योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इन गतिविधियों ने इस आयोजन को और भी यादगार बना दिया। कार्यक्रम का समापन सुदीप्त राय द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।उन्होंने कहा, यह समारोह असम विश्वविद्यालय के समर्पण और शिक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम शिक्षा और शोध के जरिए समाज को प्रबुद्ध और समृद्ध बनाने के अपने मिशन पर अडिग हैं। 32वें स्थापना दिवस का यह आयोजन असम विश्वविद्यालय की 32 वर्षों की यात्रा का प्रतीक है। यह विश्वविद्यालय अपने समर्पण, नवाचार, और शिक्षा में उत्कृष्टता के जरिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान बना रहा है। भविष्य में विश्वविद्यालय का लक्ष्य तकनीकी नवाचार,सामाजिक कल्याण, और शैक्षणिक उत्कृष्टता के क्षेत्र में और अधिक ऊंचाइयों को छूना है।यह समारोह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि छात्रों, शिक्षकों, और समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बना। असम विश्वविद्यालय ने यह सिद्ध कर दिया है कि वह शिक्षा और शोध के क्षेत्र में अपनी मजबूत पहचान को और सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।





















