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शिलचर में 25वीं विजय शांति जयंती का भव्य आयोजन, श्रद्धालुओं ने लिया धर्म और सेवा का संकल्प

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शिव कुमार शिलचर, 2 फरवरी: महान योगीराज, आचार्य सम्राट श्री श्री 1008 विजय शांति सूरीश्वरजी की 135वीं जन्म जयंती एवं दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर शिलचर में एक भव्य आयोजन किया गया। एन. एन. दत्ता रोड स्थित जैन भवन में आयोजित इस उत्सव में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और गुरुदेव के दिखाए सत्य, अहिंसा और सेवा के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। इस ऐतिहासिक आयोजन के आयोजक ललित जैन ने बताया कि यह शिलचर जैन समाज का 25वां वार्षिक आयोजन था, जो बीते वर्षों की तरह इस बार भी पूरी भव्यता और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ।
उन्होंने कहा हमारे गुरु भगवान ने हमें सिखाया है कि सच्ची साधना केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं होती, बल्कि समाज और जीव मात्र की सेवा करना भी एक महान धर्म है। आज के दौर में हमें अपनी कमाई का एक हिस्सा जरूरतमंदों, जीवदया और मानव सेवा के लिए लगाना चाहिए। आचार्य सम्राट विजय शांति सूरीश्वरजी न केवल मरूधर भूमि के सिरमौर, बल्कि मणादर के अनमोल रत्न, अहीर कुल दीपक, वीर शासन के ज्योतिर्धर और अंतिम युग प्रधान के रूप में प्रतिष्ठित थे। उन्होंने जियो और जीने दो के सिद्धांत को अपनाते हुए संपूर्ण जीव मात्र के कल्याण के लिए अपना घर, परिवार और सांसारिक मोह-माया त्यागकर कठोर तपस्या एवं धर्म प्रचार किया। उनका जीवन समर्पण, त्याग और समाज सेवा का अद्वितीय उदाहरण था।
जैन ध्वजा उत्तोलन एवं आरती (सुबह 9:15 बजे से) भव्य ध्वजारोहण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसके बाद विशेष आरती का आयोजन हुआ। विशेष भक्ति भावना एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियां – श्रद्धालुओं ने रंगारंग भक्ति भावना और आध्यात्मिक आयोजनों में भाग लिया। सामूहिक गुरु प्रसादी (दोपहर 1:00 से 2:15 बजे तक) – समस्त गुरुभक्तों ने प्रेमपूर्वक सामूहिक भोजन ग्रहण किया। संध्या आरती और भक्ति (शाम 6:30 बजे से) – दिनभर चले कार्यक्रम का समापन संध्या आरती एवं भजन संध्या के साथ हुआ।जैन धर्म केवल धन संचय को नहीं, बल्कि समाज सेवा को सर्वोच्च धर्म मानता है। जैन समाज ने हमेशा मानव सेवा और जीवदया के कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाई है।गोशालाओं का संचालन भारत में लगभग 14,000 गोशालाएं हैं, जिनमें से 11,000 जैन समाज द्वारा संचालित की जाती हैं।आपदा राहत सेवाएं चाहे बाढ़, अग्निकांड या रक्तदान अभियान हो, जैन समाज हमेशा सबसे पहले सेवा के लिए तत्पर रहता है। जैन समाज विभिन्न क्षेत्रों में निःशुल्क भोजन वितरण और चिकित्सा शिविरों का आयोजन करता है।गुरुदेव विजय शांति सूरीश्वरजी ने अपने उपदेशों में सिखाया कि अच्छे कर्म ही हमारे सच्चे साथी होते हैं। जो भी कमाया जाता है, उसे मानव सेवा में लगाना चाहिए, क्योंकि धन यहीं रह जाता है, लेकिन कर्म हमारे साथ जाते हैं।
आयोजक ललित जैन ने बताया कि शिलचर जैन समाज इस परंपरा को हर वर्ष और भी भव्य रूप में आयोजित करेगा, जिससे समाज में सेवा, त्याग और समर्पण की भावना और अधिक प्रबल हो। उन्होंने कहा,हमारा जैन समाज सदैव सेवा के कार्यों में आगे रहा है, और भविष्य में भी इसी मार्ग पर चलते हुए अधिक से अधिक जनकल्याण के कार्यों में संलग्न रहेगा।शासनम्! चलो बुलावा आया है, शांति गुरुदेव ने बुलाया है!समस्त श्रद्धालु इस पवित्र अवसर का हिस्सा बने और अपने तन-मन-धन से आयोजन को सफल बनाया। आने वाले वर्षों में भी यह परंपरा जारी रहेगी, जिससे समाज में सेवा, त्याग और समर्पण की भावना और अधिक प्रबल होगी।

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