धार्मिक अनुष्ठान से कार्यक्रम का शुभारंभ
समारोह का शुभारंभ स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पण और मांगलिक पंच-प्रदीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इस पवित्र अनुष्ठान में मुख्य अतिथि स्वामी देवाशीष और स्वामी देवज्योति ने भाग लिया।
मुख्य वक्ता का सम्मान और विचार-विमर्श
इसके बाद, असम विश्वविद्यालय के बंगाली विभागाध्यक्ष डॉ. विश्वतोष चौधरी को समिति के सह-उपाध्यक्ष चंपा लाल राय ने उत्तरिय पहनाकर और स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया।
अपने वक्तव्य में डॉ. चौधरी ने कहा कि श्रीश्री रामकृष्ण पाठचक्र के सदस्य आज भी श्रीरामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के आदर्शों पर चलते हुए समाज सेवा के कार्य कर रहे हैं। उन्होंने इसे एक गौरव की बात बताते हुए कहा कि धर्म के साथ-साथ समाज सेवा का यह प्रयास अनुकरणीय है।
उन्होंने अपने भाषण में स्वामी विवेकानंद के विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत, अपनी भाषाई, जातीय, ऐतिहासिक और क्षेत्रीय विविधताओं के बावजूद, हमेशा सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बंधा रहा है। स्वामी विवेकानंद ने इस सांस्कृतिक विरासत के मूल आधार को उजागर कर राष्ट्र की एकता की भावना को स्पष्ट रूप से परिभाषित और मजबूत किया।
उन्होंने कहा कि आज के दौर में स्वामी विवेकानंद के विचारों को अपनाना अत्यंत आवश्यक है, ताकि एक आदर्श परिवार, समाज और राष्ट्र का निर्माण हो सके।
सम्मान समारोह और सांस्कृतिक कार्यक्रम
समारोह के दौरान कई विशिष्ट अतिथियों को सम्मानित किया गया, जिनमें प्रमुख रूप से—
- दुर्गाशंकर पाठशाला के प्रधानाचार्य दिलीप कुमार राय
- प्रसिद्ध चित्रकार श्यामल सेन
- स्वर्गीय कवि सुषांत भट्टाचार्य के अनुज दीपक भट्टाचार्य
- समिति के सलाहकार सुशील कुमार कर
- वरिष्ठ सदस्य गोपाल चंद्र भट्टाचार्य
- गायक राजू चक्रवर्ती
उन्हें समिति के सदस्यों द्वारा उत्तरिय और स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया।
इसके बाद भक्ति संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें योगासन केंद्र के प्रतिभाशाली छात्र ऋद्धिमान चक्रवर्ती और अनुभव पाल ने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया।
प्रतियोगिता विजेताओं का सम्मान
समारोह के अंत में “बसे आंको प्रतियोगिता” के चार श्रेणियों के 16 विजेताओं को ट्रॉफी और प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए।
समारोह का सफल संचालन
पूरे कार्यक्रम का सफल संचालन समिति के सचिव सुदीप दास ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सह-उपाध्यक्ष बीरेंद्र कुमार दास, सलाहकार प्रणब कुमार चौधरी, अमित बनिक, शेखर चौधरी सहित अन्य सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
समापन
समारोह ने यह संदेश दिया कि धर्म और समाज सेवा का संगम ही मानवता की सच्ची सेवा है, और इसी भावना के साथ श्रीश्री रामकृष्ण पाठचक्र (सेंट्रल) समिति अपने कार्यों को आगे बढ़ा रही है।




















