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प्रे.स. शिलचर, 3 फरवरी: महिलाओं के पुरोहित बनने की योग्यता पर भले ही बहस जारी हो, लेकिन हकीकत में देशभर में कई जगह महिलाएं पूरी दक्षता के साथ पूजा-पाठ करवा रही हैं। इस सकारात्मक बदलाव से उत्तर-पूर्व भारत भी अछूता नहीं है।
इसका एक अनूठा उदाहरण असम विश्वविद्यालय में देखने को मिला, जहां कंप्यूटर साइंस विभाग की स्नातकोत्तर छात्रा मिशमिता चक्रवर्ती ने सरस्वती पूजा का सफलतापूर्वक संचालन किया। विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित विभाग में एक छात्रा द्वारा विधिवत पूजा संपन्न कराना निश्चित रूप से एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है।
दूसरी बार संभाला पूजा का दायित्व
मिशमिता चक्रवर्ती, जो वर्तमान में कंप्यूटर साइंस विभाग में मास्टर्स प्रथम वर्ष की छात्रा हैं, शिलचर के पब्लिक स्कूल रोड, प्रोफेसर पाड़ा की निवासी हैं। उन्होंने बताया कि पूजा संपन्न करवाना उनके लिए एक बेहद आनंददायक अनुभव था और वे भविष्य में भी इस परंपरा को आगे बढ़ाना चाहेंगी।
गौरतलब है कि यह उनका पहला अनुभव नहीं था—पिछले वर्ष भी उन्होंने इसी विभाग में सरस्वती पूजा करवाई थी। इस प्रकार, उन्होंने लगातार दूसरी बार इस महत्वपूर्ण दायित्व को निभाते हुए महिलाओं की पुरोहिताई की परंपरा को सशक्त किया है।
समाज में नई सोच को दे रही बढ़ावा
मिशमिता जैसी युवा छात्राओं की पहल समाज में नई सोच और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। असम विश्वविद्यालय में उनका यह प्रयास निश्चित रूप से अन्य महिलाओं को भी प्रेरित करेगा कि वे धार्मिक अनुष्ठानों के संचालन में सक्रिय भूमिका निभाएं।





















