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नीम करोली बाबा की शादी कब हुई और कैंची धाम में क्यों चढ़ाते हैं कंबल, बाबा से जुड़े इन रहस्यों को नहीं जानते ज्यादातर लोग

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नीम करोली बाबा इस दुनिया में नहीं है लेकिन आज भी उनके भक्त उनकी सीख और कहानियों पर विश्वास रखते हैं। नीम करोली बाबा को हनुमान जी का परम भक्त माना जाता है। साथ ही नीम करोली बाबा के साथ रहने वाले कई लोग नीम करोली बाबा के बारे में यह भी कहा करते थे कि बाबा के पास कोई चमत्कारी शक्ति जरूर है क्योंकि वे अपने पास आने वाले लोगों का दुख बिना सुने ही समझ जाते थे। वहीं, कई लोगों का यह भी कहना था कि नीम करोली बाबा हनुमान जी से भी मिल चुके हैं। नीम करोली बाबा काठगोदाम से 38 किलोमीटर दूर स्थित कैंची धाम में रहा करते थे। बाबा पर विश्वास रखने वाले लोग उनसे मिलने यहां आया करते थे। आइए, जानते हैं नीम करोली बाबा की खास बातें।

नीम करोली बाबा की 11 वर्ष में ही हो गई थी शादी

नीम करोली बाबा की 11 वर्ष में ही हो गई थी शादी

नीम करोली बाबा का बचपन सामान्य बच्चों से अलग था। उनका बचपन का नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। केवल 11 वर्ष की आयु में ही उनकी शादी कर दी गई लेकिन उनका मन सांसारिक जीवन में नहीं लगता था। इसलिए उन्होंने साधु बनने का निर्णय लिया और घर छोड़ दिया। हालांकि, पिता के आग्रह पर वे वापस लौट आए और पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाईं। उनके दो बेटे और एक बेटी हुई। यह आश्चर्यजनक था कि इतनी कम उम्र में ही, केवल 17 वर्ष की आयु में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। कहा जाता है कि स्वयं हनुमान जी उनके गुरु थे।

नीम करोली बाबा का यह नाम कैसे पड़ा

नीम करोली बाबा का यह नाम कैसे पड़ा

बाबा ने भारत के कई स्थानों की यात्रा की। हर जगह लोग उन्हें अलग-अलग नामों से जानते थे। जब वे गंजम में मां तारा तारिणी शक्ति पीठ गए, तो स्थानीय लोगों ने उन्हें ‘हनुमान जी’ और ‘चमत्कारी बाबा’ जैसे नामों से पुकारा। यह उनके अलौकिक व्यक्तित्व और चमत्कारिक क्षमताओं का प्रमाण था। एक बार बाबा ट्रेन में सफर कर रहे थे लेकिन उनके पास टिकट नहीं था। टीटी ने उन्हें बिना टिकट यात्रा करते पकड़ लिया। उन्होंने बाबा को अगले स्टेशन, नीम करोली, पर उतर जाने को कहा। बाबा स्टेशन पर उतर गए। लेकिन उन्होंने ट्रेन के पास ही एक चिमटा गाड़ दिया और वहीं बैठ गए।

इस तरह बना नीम करोली स्टेशन

इस तरह बना नीम करोली स्टेशन

चालक ने ट्रेन चलाने की बहुत कोशिश की, लेकिन ट्रेन टस से मस नहीं हुई। सभी यात्री घबरा गए। उन्हें लगा कि यह बाबा का प्रकोप है। कुछ लोग बाबा को जानते थे। उन्होंने टीटी और ड्राइवर से बाबा से माफी मांगने को कहा। सभी ने बाबा से क्षमा याचना की। बाबा ने उन्हें माफ कर दिया और ट्रेन पर बैठ गए। लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी। उन्होंने कहा कि नीम करोली में एक स्टेशन बनना चाहिए। ताकि आसपास के गांव वालों को ट्रेन में चढ़ने के लिए दूर न जाना पड़े। अधिकारियों ने उनकी बात मान ली और वहां नीम करोली स्टेशन बन गया। तब से बाबा को नीम करोली के नाम से भी जाना जाने लगा।

नीम करोली बाबा और कंबल से जुड़ी एक पुरानी घटना

नीम करोली बाबा और कंबल से जुड़ी एक पुरानी घटना

नीम करोली बाबा के साथ रहने रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) नाम के लेखक ने अपनी किताब ‘मिरेकल ऑफ लव’ में एक घटना का उल्लेख किया है। एक दिन नीम करोली बाबा के बुर्जुग दंपति के घर अचानक ही पहुंच गए। बुर्जुग दंपति अचानक बाबा को अपने घर देखकर बहुत खुश हुए लेकिन इसके साथ ही उन्हें हैरानी भी हुई कि बाबा यूं अचानक कैसे आ गए। बाबा ने दंपति से कहा कि आज रात वह उनके घर में ही विश्राम करेंगे। इसके बाद दंपति ने खाना खिलाने के बाद बाबा को एक कंबल और एक चारपाई दी। नीम करोली बाबा कंबल ओढ़कर गहरी नींद में सो गए।

कैंची धाम में आज भी चढ़ाए जाते हैं कंबल

कैंची धाम में आज भी चढ़ाए जाते हैं कंबल

नीम करोली बाबा पूरी रात कंबल में ऐसे कराह रहे थे, जैसे कोई उन्हें मार रहा हो। दर्द से कराहते नीम करोली बाबा को देखकर बुजुर्ग दंपति को बहुत दुख हुआ लेकिन वे इसका कारण समझ नहीं आ रहा था। अगले दिन नीम करोली बाबा ने बुजुर्ग दंपति उस कंबल को नदी में बहाने के लिए कहा और वहां से चले गए। इस घटना के कुछ दिनों बाद बुजुर्ग दंपति का बेटा घर वापस लौटा, जो फौज में था। फौज में भर्ती बेटे ने बताया कि उसकी जान दुश्मनों से कैसे बची। लड़ाई के बीच में उसे बार-बार ऐसा लग रहा था कि कोई उसे दुश्मनों से बचा रहा है। साथ ही उसने यह भी बताया कि उसे बार-बार एक बुर्जुग की छवि नजर आ रही थी। इसके बाद लड़के के माता-पिता समझ गए कि नीम करोली बाबा ने ही उनके बेटे की मदद की है। इस घटना के बाद से ही नीम करोली बाबा को कंबल चढ़ाए जाने लगे, जिससे कि वे अपने भक्तों की रक्षा करें।

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