सिलचर, 9 फरवरी: श्री साधुमार्गी जैन संघ, सिलचर द्वारा आज व्यसन मुक्ति प्रणेता और उत्क्रांति प्रदाता आचार्य प्रवर 1008 श्री रामलाल जी म.सा के संयम जीवन के 50 वर्ष पूर्ण होने के शुभ अवसर पर सिलचर जैन भवन में भव्य धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सामायिक, समता शाखा, गुरु गुणानुवाद और भजन-कीर्तन जैसे आध्यात्मिक अनुष्ठान आयोजित किए गए, जिसमें संघ के पुरुषों, महिलाओं और युवाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
गुरु गुणानुवाद और आचार्य प्रवर की प्रेरणादायी यात्रा
कार्यक्रम में साधुमार्गी संघ के अध्यक्ष विजय कुमार सांड ने गुरु गुणानुवाद प्रस्तुत करते हुए कहा,
“यह हमारा परम सौभाग्य है कि हमें अपने पूज्य गुरुदेव के स्वर्णिम संयम महोत्सव को मनाने का अवसर प्राप्त हुआ। सन 1975 में समता विभूति आचार्य प्रवर श्री नाना लालजी म.सा से उन्होंने दीक्षा ग्रहण की थी। 1992 में उन्हें उत्तराधिकारी घोषित किया गया और 1999 में आचार्य पद की गरिमा को धारण किया। उनका पूरा जीवन तप, त्याग और साधना की मिसाल है। हमें भी उनके आदर्शों पर चलते हुए त्याग, तपस्या और सेवा का संकल्प लेना चाहिए।”
उन्होंने जिनेश्वर देव से आचार्य प्रवर के उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्रार्थना भी की।
रिले रक्तदान शिविर का समापन और सामाजिक सेवा का संकल्प
इस अवसर पर संघ के अध्यक्ष विजय कुमार सांड ने पिछले 31 महीनों से चल रहे रिले रक्तदान शिविर के सफल समापन की घोषणा की। उन्होंने उन सभी दानवीरों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इस महत्त्वपूर्ण सेवा में योगदान दिया।
संघ के मंत्री प्रकाश सुराना ने बताया कि आचार्य प्रवर के 50वें दीक्षा दिवस का आयोजन 23 जुलाई 2022 को महत्तम महोत्सव के रूप में बैनर लॉन्चिंग के माध्यम से प्रारंभ किया गया था। इन 31 महीनों में संघ ने धार्मिक और सामाजिक दोनों क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किए, जिनमें 450 यूनिट रक्तदान कर सिलचर कैंसर अस्पताल की मदद करना प्रमुख रहा।
भजन-कीर्तन और गुरु वंदना के साथ कार्यक्रम संपन्न
कार्यक्रम के अंत में जेठमल जी बैद ने पूरे महत्तम महोत्सव को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए संघ के अध्यक्ष और मंत्री को साधुवाद दिया।
इसके बाद, धर्मपाल धारीवाल, बसंत सिपानी, पंकज सेठिया, अंजू देवी बैद, अलका सेठिया, रूपा डागा, जयश्री भूरा और कविता खटोल ने भजन-कीर्तन के माध्यम से गुरु गुणगान किया।
कार्यक्रम का समापन गुरु वंदना के साथ हुआ, जहां श्रद्धालुओं ने आचार्य प्रवर को नमन कर उनके तप और त्याग से प्रेरणा लेने का संकल्प लिया।
संघ का संदेश: धर्म, सेवा और त्याग का मार्ग अपनाएं
इस भव्य आयोजन ने साधुमार्गी समाज को यह संदेश दिया कि गुरुदेव के आदर्शों को आत्मसात कर सेवा, त्याग और साधना के मार्ग पर अग्रसर रहना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।




















