शिलचर: पंजाब नेशनल बैंक आरसेटी (रूरल सेल्फ एंप्लॉयमेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) काछार ने बराक घाटी के बेरोजगार युवाओं को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से डेयरी फार्मिंग, वर्मी कम्पोस्ट और जैविक कृषि पर आधारित दस दिवसीय विशेष उद्यमिता विकास कार्यक्रम का सफल आयोजन किया। इस कार्यक्रम में काछार और हाइलकांदी जिलों के युवाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
स्थानीय दुग्ध उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बराक घाटी में स्थानीय डेयरी उत्पादों की आपूर्ति को मजबूत करना और बेरोजगारी की समस्या को कम करना था। क्षेत्र में गाय के दूध की बढ़ती मांग के बावजूद, स्थानीय उत्पादन इसे पूरा करने में असमर्थ रहा है, जिससे दूध पाउडर के आयात पर निर्भरता बढ़ी है।
कार्यक्रम में डेयरी फार्मिंग, डेयरी उत्पाद निर्माण, वर्मी कम्पोस्टिंग और जैविक कृषि पद्धतियों पर गहन प्रशिक्षण दिया गया, ताकि प्रतिभागी इन्हें एक सफल व्यवसाय में परिवर्तित कर आत्मनिर्भर बन सकें।
विशेषज्ञों ने साझा किया ज्ञान
इस प्रशिक्षण में पशुपालन और चिकित्सा विभाग के अधिकारियों सहित कई विशेषज्ञों ने भाग लिया:
- डॉ. अब्दुर रज्जाक अहमद (काछार जिला कृषि अधिकारी)
- डॉ. मनुरंजन सरकार (संयुक्त निदेशक, शिलचर पशु चिकित्सा जोन)
- डॉ. रुबेल दास (पशु चिकित्सा अधिकारी)
- डॉ. लक्ष ज्योति काकती (पशु चिकित्सा विशेषज्ञ)
- अनु दास (प्रमाणित खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षक)
इन विशेषज्ञों ने डेयरी फार्मिंग, पशुपालन, खाद्य प्रसंस्करण और जैविक कृषि से संबंधित नवीनतम तकनीकों और प्रबंधन रणनीतियों पर प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया।
गोरु पालन और आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
समापन समारोह में शाहेद चौधुरी ने कहा, “हमारे देश, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, गोरु पालन का एक लंबा इतिहास रहा है। इस क्षेत्र में उचित प्रशिक्षण और सही दिशा मिलने से कई लोग आत्मनिर्भर बन सकते हैं। एक सफल और लाभकारी फार्म प्रबंधन ही सही मायने में खामार प्रबंधन कहलाता है।”
प्रतिभागियों की उत्साही प्रतिक्रिया
समारोह में प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए पंजाब नेशनल बैंक आरसेटी काछार और सहयोगी संस्थानों की सराहना की। उन्होंने इस कार्यक्रम को अपने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। कार्यक्रम के अंत में शाहेद चौधुरी ने प्रशिक्षण प्राप्तकर्ताओं को प्रमाणपत्र वितरित किए और सफल फार्म प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर दिया।
बराक घाटी की अर्थव्यवस्था को मिलेगा संबल
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल डेयरी और जैविक कृषि क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर खोलेगा, बल्कि बराक घाटी की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करेगा। इस पहल से क्षेत्र के युवाओं को स्थायी उद्यमिता के लिए आवश्यक ज्ञान और संसाधन उपलब्ध होंगे, जिससे वे स्वावलंबी और आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें।




















