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मणिपुर विधानसभा का सत्र निर्धारित अवधि के भीतर नहीं बुलाये जाने पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

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नई दिल्ली, 11 फ़रवरी (हि.स.)। मणिपुर विधानसभा का निर्धारित समयावधि के अंदर सत्र आयोजित नहीं जाने की कांग्रेस ने तीखी आलोचना की है। पार्टी ने इसे संवैधानिक प्रावधानों की अनदेखी करार दिया है।

कांग्रेस महासचिव (संचार) एवं सांसद जयराम रमेश ने आज एक वक्तव्य में कहा कि मणिपुर विधानसभा के संवैधानिक रूप से अनिवार्य सत्र का आज आखिरी दिन है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 174 (1) के अनुसार विधानसभा सत्र की अंतिम बैठक और अगले विधानसभा सत्र की पहली बैठक के बीच 6 महीने से ज़्यादा का अंतर नहीं हो सकता।

जयराम रमेश ने सवाल उठाते हुए कहा कि मणिपुर के राज्यपाल संवैधानिक रूप से अनिवार्य विधानसभा सत्र के लिए मणिपुर विधानसभा को न बुलाकर अनुच्छेद 174 (1) का उल्लंघन क्यों कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि सत्र को इसलिए रद्द कर दिया गया, क्योंकि भाजपा उस मुख्यमंत्री का उत्तराधिकारी नियुक्त नहीं कर सकी, जिसके खिलाफ़ कांग्रेस सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव लाने वाली थी और जिसे रविवार रात को इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर होना पड़ा।

उल्लेखनीय है कि रविवार शाम को उत्पन्न सियासी घटनाक्रम के चलते मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से एन बीरेन ने इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद उसी रात राज्यपाल ने सोमवार से आहूत सत्र का शेड्यूल रद्द कर दिया।

इस बीच पता चला है कि राज्य के असंतुष्ट विधायकों और कार्यवाहक मुख्यमंत्री बीरेन को भी बुधवार को पार्टी आलाकमान ने नई दिल्ली में तलब किया है। इस बैठक में असंतुष्टों को मनाने और वहां पार्टी में व्याप्त असंतोष को खत्म करने का प्रयास किया जाएगा। अगर बीरेन के नाम पर आम सहमति नहीं बनेगी तो नए नाम पर भी इसी बैठक में फैसला किया जाएगा।

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