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प्रे.स. शिलचर, 16 फरवरी: कुलपति आचार्य प्रहलाद रा जोशी जी के नेतृत्व में कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत पुरातनाध्ययन विश्वविद्यालय यह स्पष्ट करता है कि संस्कृत भाषा भारत की सांस्कृतिक एवं बौद्धिक धरोहर का अभिन्न अंग है। संसद में डीएमके सांसद दयानिधि मारन द्वारा संस्कृत भाषा के प्रति की गई अनुचित टिप्पणी अत्यंत निंदनीय है और यह भारत की भाषाई परंपरा एवं सांस्कृतिक अस्मिता पर आघात है।
हम केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (सीएसयू) द्वारा घोषित देशव्यापी आंदोलन का पूर्ण समर्थन करते हैं और इस विरोध में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। संस्कृत न केवल भारत की प्राचीनतम भाषा है, बल्कि यह विश्व की बौद्धिक संपदा का आधार भी है। संसद में लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला जी द्वारा संस्कृत भाषा के महत्व को स्पष्ट करते हुए जो ठोस कदम उठाए गए हैं, उनके लिए विश्वविद्यालय उनकी सराहना करता है।
हम डीएमके सांसद दयानिधि मारन से अपेक्षा करते हैं कि वे अपनी टिप्पणी के लिए संसद में सार्वजनिक रूप से माफी मांगें। यदि ऐसा नहीं होता है, तो कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत पुरातनाध्ययन विश्वविद्यालय भी देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में भाग लेगा और संस्कृत भाषा की गरिमा को बनाए रखने के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा।
संस्कृत हमारी अस्मिता है, इसे किसी भी प्रकार से अपमानित नहीं होने देंगे।
आचार्य प्रहलाद रा जोशी
कुलपति
कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत पुरातनाध्ययन विश्वविद्यालय




















