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बंगभवन में स्वरझंकार और गुरुकुल परंपरा फाउंडेशन द्वारा भव्य शास्त्रीय संगीत संध्या

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प्रे.स., शिलचर, 14 फरवरी: पुणे के प्रतिष्ठित संगीत संस्थान स्वरझंकार और शिलचर के गुरुकुल परंपरा फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में बंगभवन में एक भव्य शास्त्रीय संगीत संध्या का आयोजन किया गया। इस संगीतमय संध्या का शुभारंभ स्वरझंकार के प्रतिनिधि तेजस उपाध्याय और गुरुकुल परंपरा फाउंडेशन के दीपक बक्सी एवं सुतपा बक्सी ने दीप प्रज्वलित कर किया।

कार्यक्रम की शुरुआत 14 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए दो मिनट के मौन के साथ हुई। इसके पश्चात गुरुकुल परंपरा के छात्रों ने दो मीरा भजन और राग इमन में मध्यमलय में एक बंदिश प्रस्तुत कर कार्यक्रम की शुरुआत की। उनकी संगत में हारमोनियम पर पुणे से आए कलाकार आदिनाथ वैद्य और तबले पर संज़ीव नाथ थे।

प्रतिष्ठित कलाकारों का सम्मान

इस अवसर पर स्वरझंकार और गुरुकुल परंपरा फाउंडेशन ने बराक घाटी के प्रसिद्ध सितार वादक राजर्षि भट्टाचार्य, तबला वादक समुज्ज्वल भट्टाचार्य एवं सुभाशीष चौधरी, कथक नृत्यांगना पम्पी चक्रवर्ती तथा श्रीभूमि जिला से पधारे दिव्यज्योति चक्रवर्ती को सम्मानित किया। ये सभी कलाकार बराक घाटी में भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य के प्रचार-प्रसार में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

इसके साथ ही उदीयमान कलाकारों में शास्त्रीय गायक मेघराज चक्रवर्ती एवं ज्ञानश्री प्रकाश, तथा वायलिन वादक प्रद्युम्न शील को भी विशेष रूप से सम्मानित किया गया।

उस्ताद ज़ाकिर हुसैन को श्रद्धांजलि

हाल ही में दिवंगत हुए विश्वविख्यात तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन को श्रद्धांजलि देते हुए स्वरझंकार के प्रमुख पंडित अतुल उपाध्याय ने उनके व्यक्तित्व और योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “उस्ताद ज़ाकिर हुसैन केवल एक महान तबला वादक ही नहीं, बल्कि एक अत्यंत विनम्र और स्नेही व्यक्तित्व थे। मैंने उनके साथ कई कार्यक्रम किए हैं। तबले को उन्होंने वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाया और उनका हमारे परिवार से गहरा संबंध था। उनकी अनुपस्थिति संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।”

खयाल और ठुमरी की अनूठी प्रस्तुति

दिल्ली से पधारी बनारस घराने की सुविख्यात गायिका विदूषी नवनीता चौधरी ने राग मारु बिहाग में एक भावपूर्ण खयाल प्रस्तुत किया। उनकी संगत हारमोनियम पर कोलकाता के अनिर्बान चक्रवर्ती और तबले पर पंजाब घराने के उदीयमान तबला वादक तराशीष बक्सी ने की।

इसके बाद उन्होंने राग पहाड़ी में लोकप्रिय दादरा “रंगी सारी गुलाबी चुनरिया रे” प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का समापन उन्होंने मिश्र किरवानी राग में एक भजन के साथ किया।

पद्मश्री उस्ताद शाहिद परवेज का जादुई सितार

कार्यक्रम की सबसे बड़ी प्रस्तुति विश्वप्रसिद्ध सितार वादक पद्मश्री उस्ताद शाहिद परवेज की थी। उन्होंने इस संगीतमय संध्या को उस्ताद ज़ाकिर हुसैन को समर्पित करते हुए कहा, “ज़ाकिर भाई के साथ मेरा पचास वर्षों का संबंध था, इसलिए यह प्रस्तुति उन्हीं की स्मृति में है।”

उन्होंने राग चारुकेशी में अपनी प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने आलाप, जोड़ और झाला से शुरूआत की। उनके सितार की मधुरता ने श्रोताओं को अभिभूत कर दिया। इसके बाद उन्होंने झपताल में विलंबित रचना और अंत में आधा ताल (16 मात्रा) में मध्यमलय की प्रस्तुति दी। उनकी संगत फर्रुखाबाद घराने के प्रख्यात तबला वादक अनिंदो चटर्जी के सुपुत्र अनुब्रत चटर्जी ने की, जिनकी लयकारी दर्शकों को बेहद पसंद आई।

अंत में उस्ताद शाहिद परवेज ने राग पहाड़ी में “अनार अनार” धुन बजाकर इस ऐतिहासिक संध्या का समापन किया। उनकी मीड़ की कलाकारी और सितार की मधुर झंकार ने श्रोताओं के हृदय को छू लिया।

एक यादगार संध्या

पूरा कार्यक्रम कोलकाता की प्रसिद्ध रंगमंच कलाकार श्वेता राय ने संचालित किया। संध्या का हर एक पल संगीतप्रेमियों के लिए अविस्मरणीय बन गया। अंततः, संगीत की मधुर ध्वनियों के साथ दर्शकगण एक अद्भुत अनुभूति लिए अपने घरों को लौटे।

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