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मधु टीला में भीषण अग्निकांड: 50 लाख का नुकसान, कई परिवार बेघर, प्रशासन और बिजली विभाग पर उठे सवाल!

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बिजली विभाग की लापरवाही से जलकर राख हुए कई घर, फायर ब्रिगेड पहुंची देर से, सड़क की बदहाली ने बढ़ाई तबाही!
शिव कुमार शिलचर, 18 फरवरी: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) के निकट भोराखाई गांव पंचायत के अंतर्गत मधु टीला में बीते सोमवार रात साढ़े 7 बजे समाज सेवी मदनलाल ग्वाला के घर से उठी चिंगारी कुछ ही देर में भयंकर अग्निकांड में बदल गई। बिजली के शॉर्ट सर्किट से लगी आग ने कुछ ही मिनटों में तीन से चार घरों को पूरी तरह निगल लिया। लोग चीख-पुकार करते रहे, लेकिन आग इतनी भयावह थी कि कोई कुछ भी बचाने में असमर्थ रहा।
मदनलाल ग्वाला ने बताया हम लोग सिर्फ अपने बदन पर पहने कपड़े लेकर बाहर भाग सके। हमारे पास कुछ भी नहीं बचा  ना घर, ना राशन, ना गहने, ना कागजात! आग की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग तुरंत थाना पहुंचे और फायर ब्रिगेड को बुलाया गया, लेकिन दमकल गाड़ी समय पर नहीं पहुंच सकी।गांव का रास्ता बेहद संकरा और जर्जर होने के कारण दमकल वाहन को रास्ते में रुक-रुक कर चलना पड़ा।अगर सड़क चौड़ी होती, तो दमकल जल्दी पहुंचती और इतना नुकसान नहीं होता।
जैसे ही दमकल गाड़ी गांव में घुसी, खुले तारों से अटकने का खतरा पैदा हो गया। स्थानीय समाजसेवी सुबचन ग्वाला ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा,अगर सड़क सही होती और बिजली विभाग ने समय पर सुधार कार्य किए होते, तो इतनी बड़ी तबाही टाली जा सकती थी।इस हादसे में पीड़ित परिवारों ने सबकुछ खो दिया। पूरा घर जलकर राख सोने-चांदी के गहने और नकदी  कपड़े, अनाज और बर्तन भी जल गए NRC, आधार कार्ड, जमीन के दस्तावेज नष्ट बच्चों की किताबें और स्कूल बैग जलकर खाक हो गए छत और दीवारों में दरारें, प्लास्टर गिरने लगा। कुल अनुमानित नुकसान करीब ₹50 लाख से अधिक बताया जा रहा है।  मदनलाल ग्वाला ने अपनी दर्दभरी आवाज में कहा कि,  हमने अपनी जिंदगी की सारी पूंजी इस घर में लगाई थी। अब हमारे पास रहने तक को जगह नहीं बची।बिजली के तार खुले पड़े थे, जो शॉर्ट सर्किट का कारण बने।विभाग को पहले भी कई बार शिकायत दी गई थी, लेकिन कोई सुधार कार्य नहीं किया गया।
जिसके चलते लाखों का नुकसान और कई परिवार बेघर हो गए। आग बुझाने के लिए स्थानीय युवाओं ने कड़ी मशक्कत की। करीब 200-250 लोगों ने मिलकर पानी डालने और आग को फैलने से रोकने की पूरी कोशिश की।गांव के एक निवासी ने कहा,अगर हम लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते, तो पूरा मधु टीला जलकर खाक हो जाता।अग्निकांड की जानकारी मिलते ही असम सरकार के मंत्री कौशिक राय ने फोन के माध्यम से घटना का जायजा लिया। स्थानीय लोगों ने प्रशाशन से मांग की हे कि,पीड़ित परिवारों को तत्काल राहत और मुआवजा दिया जाए। गांव के सड़क मार्ग को चौड़ा और पक्का किया जाए, ताकि भविष्य में दमकल और अन्य आपातकालीन सेवाएं समय पर पहुंच सकें।बिजली विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं यह हादसा प्रशासन और बिजली विभाग की लापरवाही का परिणाम है। अगर समय पर बिजली लाइन दुरुस्त की जाती और रास्ते को चौड़ा किया जाता, तो इतनी बड़ी तबाही नहीं होती।अब देखना यह है कि प्रशासन और सरकार इस आपदा से प्रभावित परिवारों की कितनी मदद करती है और क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाते हैं?

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