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माधव सदाशिवराव गोलवलकर (गुरुजी) : एक राष्ट्रनिर्माता विचारक

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भारत के राष्ट्रवादी इतिहास में माधव सदाशिवराव गोलवलकर, जिन्हें स्नेहपूर्वक ‘गुरुजी’ कहा जाता है, एक ऐसी महान विभूति हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विचारों को सुदृढ़ आधार प्रदान किया। उनका जीवन एक आदर्श राष्ट्रसेवक के रूप में प्रेरणादायक रहा है। वे एक गहन विचारक, प्रभावी संगठनकर्ता और निःस्वार्थ समाजसेवी थे, जिन्होंने भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा

माधव सदाशिवराव गोलवलकर का जन्म 19 फरवरी 1906 को महाराष्ट्र के रामटेक में हुआ था। वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे और शिक्षा के प्रति गहरी रुचि रखते थे। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से विज्ञान और कानून की पढ़ाई की, साथ ही जैव विज्ञान में भी विशेष ज्ञान प्राप्त किया। हालांकि, उनका झुकाव सामाजिक सेवा की ओर था, जिसके कारण उन्होंने अपना जीवन राष्ट्र के प्रति समर्पित कर दिया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव

गोलवलकर जी 1931 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और शीघ्र ही वे इसके प्रमुख प्रचारकों में से एक बन गए। 1940 में, संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के निधन के बाद, वे संघ के द्वितीय सरसंघचालक बने। उन्होंने अपने नेतृत्व में संघ को एक सशक्त, अनुशासित एवं राष्ट्रनिष्ठ संगठन के रूप में विकसित किया। उनके प्रयासों से RSS का विस्तार संपूर्ण भारत में हुआ और यह संगठन समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करने में सफल रहा।

राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक पुनर्जागरण

गुरुजी का दृष्टिकोण राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक पुनर्जागरण पर आधारित था। वे मानते थे कि भारत की सांस्कृतिक जड़ें अत्यंत मजबूत हैं और हमें अपनी परंपराओं, मूल्यों तथा सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना चाहिए। उन्होंने हमेशा भारतीयता पर बल दिया और समाज को आत्मनिर्भर तथा संगठित बनाने की दिशा में कार्य किया। उनके विचारों ने लाखों युवाओं को प्रेरित किया और समाज में राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत की।

समाजसेवा और संगठन कौशल

गोलवलकर जी का संगठन कौशल अद्वितीय था। उन्होंने संघ के माध्यम से सेवा कार्यों को बढ़ावा दिया और शिक्षा, स्वास्थ्य तथा आपदा प्रबंधन के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी प्रेरणा से वनवासी कल्याण आश्रम, भारतीय मजदूर संघ, विश्व हिंदू परिषद और अन्य सामाजिक संगठनों की स्थापना हुई।

सकारात्मक प्रभाव एवं विरासत

गोलवलकर जी के विचार और प्रयास आज भी प्रासंगिक हैं। उनका उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भर, संगठित और सशक्त बनाना था। उनके नेतृत्व में RSS ने समाज के विभिन्न स्तरों पर सेवा कार्यों को बढ़ावा दिया और राष्ट्रवाद की भावना को मजबूती दी।

आज, उनके विचारों से प्रेरित होकर लाखों लोग राष्ट्रसेवा के कार्य में लगे हुए हैं। उनका जीवन हमें अनुशासन, समर्पण और संगठन की महत्ता सिखाता है। वे न केवल एक कुशल नेतृत्वकर्ता थे, बल्कि एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी थे जिन्होंने भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद को एक नई ऊंचाई दी।

निष्कर्ष

गुरुजी माधव सदाशिवराव गोलवलकर भारतीय राष्ट्रवाद और सामाजिक संगठन के क्षेत्र में एक अमिट छाप छोड़ गए हैं। उनका जीवन और विचारधारा हमें यह सिखाती है कि राष्ट्र के उत्थान के लिए संगठित प्रयास, अनुशासन और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा आवश्यक है। उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं और देश के युवाओं को प्रेरित करती हैं कि वे अपने समाज और राष्ट्र के लिए कार्य करें।

डॉ. प्रग्नेश बी. परमार / Dr. Pragnesh B. Parmar 
MBBS, MD (Forensic Medicine), GSMC-FAIMER, PGDHL, AMAHA, ACME
अतिरिक्त प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष / Additional Professor & HOD 
फोरेंसिक मेडिसिन और विष विज्ञान विभाग / Department of Forensic Medicine and Toxicology 

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), बीबीनगर / All India Institute of Medical Sciences (AIIMS), Bibinagar 
हैदराबाद महानगर क्षेत्र (HMR) – 508126, तेलंगाना, भारत / Hyderabad Metropolitan Region (HMR) – 508126, Telangana, India

M – 8141904806

E mail – drprag@gmail.com

Vice President – South Zone, Indian Academy of Forensic Medicine (2022-2025)

Executive and Advisor, GLAFIMS (2023-2024)

Joint Secretary – South Zone, Indian Society of Toxicology (2023 & 2025)

Executive Member, PAFMAT (2022-2024)

Orcid Id: 0000-0002-8402-8435

Scopus Id: 55388676300

Researcher Id: AAR-9161-2021

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