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डीएम ग्रुप ऑफ़ टी कंपनीज ने बराक घाटी के चाय उद्योग में रचा इतिहास 

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ऑर्गेनिक टी प्रोडक्शन के लिए 1330 टन कंपोस्ट फर्टिलाइजर मंगाया 
जैविक खाद से भूमि की उत्पादकता बढ़ेगी और चाय की गुणवत्ता- श्री नारायण सिंह 
विशेष प्रतिनिधि शिलचर, 22 फरवरी: बराक घाटी में पहली बार ऑर्गेनिक टी प्रोडक्शन के लिए रेलवे का एक रैंक कंपोस्ट फर्टिलाइजर सालछपरा में आज पहुंचा। जिसमें 21 बैंगन में 27000 बोरियों में 1330 टन कंपोस्ट फर्टिलाइजर आया है। पूर्वांचल, उत्तर प्रदेश के प्रमुख उद्योगपति नारायण सिंह कौशिक द्वारा जैविक खाद की एक बड़ी खेप खलीलाबाद स्टेशन से शिलचर, असम के लिए भेजा गया।
डीएम ग्रुप ऑफ़ टी कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुशील सिंह जी ने बताया कि मिट्टी की उत्पादन क्षमता बढ़ाने तथा चाय की गुणवत्ता में सुधार के लिए हमने गोपाल एग्रो फर्टिलाइजर का टेस्ट कराया था। जिसके रिजल्ट में देखा गया कि हमें जो चाहिए वह सब इसमें मौजूद है। इसलिए हमने कठिन परिस्थिति में भी इतना बड़ा निवेश करने का जोखिम लिया है। हम इसे अपने चारों बागानों में प्रयोग करेंगे और भगवान की कृपा रही तो हमारा उत्पादन भी बढ़ेगा और चाय की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि केवल एक साल उपयोग करने से उसका लाभ नहीं होगा बल्कि धीरे-धीरे रासायनिक खाद का प्रयोग काम करके और इसका प्रयोग बढ़ाना होगा तभी भूमि की उत्पादकता बढ़ेगी और चाय की गुणवत्ता।
गोपाल एग्रो इंडस्ट्रीज के मुखिया श्री नारायण सिंह कौशिक ने बताया कि उनकी कंपनी को शिलचर के प्रमुख चार चाय बागानों, डीएम ग्रुप के, रतनपुर, दर्बी,  मणिपुर तथा पाथिनी द्वारा मेरी कंपनी गोपाल एग्रो इंडस्ट्रीज को लगभग 1330 टन जैविक खाद का आर्डर दिया गया, जिसकी आपूर्ति हेतु गोपाल एग्रो द्वारा खलीलाबाद रेलवे स्टेशन के इतिहास में पहली बार रैक लगाकर 21 बैगन जैविक खाद सालछपरा लाया गया। श्री कौशिक ने कहा कि इसके पूर्वी मेरी कंपनी द्वारा असम खाद भेजी जाती थी लेकिन सड़क मार्ग के माध्यम से, उसका भाड़ा अधिक लग जाता था, जिस कारण यहां पर खाद आकर महंगी हो जाती थी, इसलिए पूरी मात्रा में जितना प्रयोग होना चाहिए, उतना नहीं हो पाता था। इस बार जो खाद भेजी गई इसमें रेलवे का किराया काफी कम है, जिस कारण वहां खाद सस्ती मूल्य में उपलब्ध हो पाई और इतने बड़े पैमाने पर उपरोक्त कंपनियों द्वारा मुझे ऑर्डर दिया गया। श्री सिंह ने बताया कि इस आर्डर में डायरेक्टर कमलेश सिंह, चेयरमैन डीके मंत्री, सीईओ सुशील कुमार सिंह की महती भूमिका रही। श्री सिंह ने बताया कि इन बागानों का उनके द्वारा दौरा किया गया था, और बागानों में जो कमी थी उन कंपनियों के अधिकारियों और कर्मचारियों को जैविक खाद का प्रयोग करने का सुझाव दिया गया। उसी क्रम में उपरोक्त कंपनियों द्वारा मेरी कंपनी को ऑर्डर दिया गया था। श्री कौशिक ने बताया कि जैविक खाद के प्रयोग से चाय बागानों में भूमि सुधार के साथ-साथ उत्पादन में लगभग 5 से 10 प्रतिशत वृद्धि के अवश्य होगी।
उन्होंने कहा कि चाय बागान को जो घाटे का सौदा बताया जा रहा है, इसका कारण है रासायनिक खाद के उपयोग से भूमि की क्षमता, उत्पादकता कम होती जा रही है। उसे बचाना है तो जैविक खाद का उपयोग करना होगा। जैविक खाद के उपयोग से भूमि में जल सोखने की क्षमता बढ़ जाएगी, इससे पौधों में हरियाली बनी रहेगी। जहां 17 तत्वों की आवश्यकता है, वहां तीन तत्व ही दिए जा रहे हैं। पहले हमारे जमीन में वह तत्व उपलब्ध थे क्योंकि गोबर की खाद प्रयोग होती थी। हमारे जैविक खाद में 6 से 10% तक नेचुरल पोटाश है और 2.8 से 3.2 प्रतिशत सल्फर है बाकी ऑर्गेनिक मेन्योर है, नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश प्रचुर मात्रा में है, इससे फसल अच्छी होगी। उन्होंने कहा कि पहले साल 25 प्रतिशत जैविक खाद और 75 प्रतिशत रासायनिक खाद, दूसरे साल 50% जैविक और 50% रासायनिक, तीसरे साल 75% जैविक और 25% रासायनिक और इसके बाद पूरी तरह से जैविक खाद का उपयोग करने से भूमि की उत्पादकता बढ़ जाएगी, फसल की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। इससे चाय की मांग भी बढ़ेगी और मूल्य भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए स्वस्थ भोजन लेना होगा और स्वस्थ भोजन के लिए स्वस्थ फसल होनी होगी।
शिलचर आने के अनुभव के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि पहली बार हाफलॉन्ग होकर सड़क मार्ग से शिलचर आया, उसकी तकलीफ बयान नहीं कर सकता। इस बार भी शिलांग रोड से शिलचर आया हूं, स्थिति ठीक नहीं है सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए कैसे सुगमता से टूरिस्ट और व्यापारी आना-जाना कर सके इसकी व्यवस्था करनी चाहिए।

श्री सिंह ने बताया कि लगातार केमिकल के प्रयोग से जो चाय में सुगंध हुआ करती थी, वह दिन प्रतिदिन खत्म होती जा रही थी। जैविक खाद के प्रयोग से चाय में अच्छी सुगंध आएगी और जो उसकी पत्तियां होगी व मुलायम निकलेंगे, जिससे चाय बागान के मालिकों को अच्छे मूल्य पर चाय बेचने का अवसर प्राप्त होगा। गोपाल एग्रो इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर श्री नारायण सिंह कौशिक ने बताया कि चाय बागानों की जो स्थिति है यदि चाय बागान मालिक चौतन्य नहीं हुए तो आने वाला समय उद्योग के लिए शुभ संकेत नहीं है। क्योंकि चाय बागानों का उत्पादन दिन प्रतिदिन घटता जा रहा है और अच्छी गुणवत्ता के चाय पैदा न होने के कारण चाय बागान मालिकों को हर वर्ष घाटा सहना पड़ रहा है।
इसका कारण यह है कि लागत बढ़ती जा रही है और उत्पादन कम हो रहा, और लगातार रासायनिक खादों के प्रयोग से किट और रोग भी चाय उद्योग में बढ़ रहे हैं जो चाय उद्योग के लिए बहुत घातक है। इसलिए जरूरी है कि अधिक से अधिक मात्रा में जैविक का प्रयोग चाय बागानों में किया जाए और रासायनिक के प्रयोग को कम किया जाए जिससे अच्छी गुणवत्ता का चाय उत्पादन हो सके। इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गोपाल एग्रो इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर श्री नारायण सिंह कौशिक ने डायरेक्टर कमलेश सिंह, चेयरमैन डी के मंत्री, सीईओ सुशील कुमार सिंह व रेलवे के अधिकारियों व कर्मचारियों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने सभी किसानों से जैविक खाद प्रयोग करने की अपील की ताकि अगली पीढ़ी को बेहतर स्वास्थ्य दिया जा सके।

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