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डलू में तीन लाख चाय के पेड़ उखाड़ने से पहले मजदूरों की राय लेने की जरूरत नहीं पड़ी, तो शिलचर में फ्लाईओवर के मामले में जनता की राय लेने की जरूरत क्यों? सवाल उठाया बीडीएफ ने

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प्रे.स. शिलचर, 26 फरवरी: शिलचर शहर में यातायात जाम की समस्या दिन-ब-दिन भयावह रूप ले रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए, शहर में फ्लाईओवर निर्माण प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने की मांग को लेकर बराक डेमोक्रेटिक फ्रंट (बीडीएफ) मुखर हुआ।
बीडीएफ कार्यालय में आयोजित एक बैठक के बाद, बीडीएफ के मुख्य संयोजक प्रदीप दत्त राय ने कहा कि फ्लाईओवर के बिना इस यातायात समस्या का समाधान संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि आम जनता इस समस्या से रोजाना परेशान हो रही है, जिससे काफी कीमती समय नष्ट हो रहा है। लेकिन वर्तमान सरकार फ्लाईओवर को लेकर बिल्कुल गंभीर नहीं दिख रही है। अब तक नागरिकों की राय ली जा रही है।
प्रदीप बाबू ने कहा कि 2022 में सिलचर में कैबिनेट बैठक के दिन, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने खुद सिलचर में दो फ्लाईओवर निर्माण के फैसले की घोषणा की थी। लेकिन आज तक इस पर कोई काम शुरू नहीं हुआ, बल्कि दो साल बाद फिर से इस मुद्दे पर जनता की राय ली जा रही है। उन्होंने कहा कि यह नाटक अब और सहन नहीं किया जा सकता।
प्रदीप बाबू ने सवाल उठाया कि यदि हर परियोजना शुरू करने से पहले जनता की राय लेना अनिवार्य है, तो डोलू चाय बागान में हवाई अड्डे के निर्माण के नाम पर लाखों चाय के पेड़ उखाड़ने से पहले सरकार ने किसकी राय ली थी? उन्होंने यह भी कहा कि गुवाहाटी में जो एक के बाद एक फ्लाईओवर बन रहे हैं, उनमें से कितने के लिए जनता की राय ली गई थी?
प्रदीप दत्त राय ने कहा कि उन्हें संदेह है कि सरकार बहाने बनाकर इस परियोजना को लटकाना चाहती है और इसे आगामी चुनावों में फायदा उठाने के लिए इस्तेमाल करना चाहती है। उन्होंने कहा कि सिलचर के जागरूक नागरिक इस तरह की नीतियों को किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेंगे। सरकारी सूत्रों के अनुसार सर्वेक्षण का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है, इसलिए इस परियोजना को जल्द से जल्द शुरू करने की मांग उन्होंने की।
प्रदीप बाबू ने यह भी कहा कि व्यापक हित को देखते हुए स्थानीय जनता इस परियोजना में कोई बाधा नहीं डालेगी, बल्कि पूरा सहयोग देगी, इस बात को लेकर वे आश्वस्त हैं। उन्होंने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी इस मुद्दे पर तुरंत सक्रिय होने की अपील की।
बीडीएफ मीडिया सेल के संयोजक जयदीप भट्टाचार्य ने कहा कि बारिश का मौसम जल्द ही आने वाला है और भूस्खलन के कारण बराक घाटी बार-बार बाहरी दुनिया से कट जाएगी। इसलिए इस क्षेत्र के लिए वैकल्पिक रेल संपर्क के बिना इस समस्या का कोई समाधान नहीं है। प्रस्तावित चंद्रनाथपुर-लांका रेल लाइन का कार्य जल्द से जल्द शुरू किया जाना चाहिए, लेकिन पूरी प्रक्रिया बेहद धीमी गति से चल रही है। रेलवे सूत्रों के अनुसार, केवल सर्वेक्षण कार्य पूरा करने में ही इस साल का समय निकल जाएगा।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार की इच्छाशक्ति मजबूत होती, तो यह कार्य पहले ही तेज गति से पूरा हो सकता था। देश के कई दुर्गम इलाकों में भारतीय रेलवे ने अविश्वसनीय गति से कार्य करके बहुत कम समय में रेल लाइनें बनाई हैं। इसलिए सरकार और विभाग अगर चाहें तो इस रेल परियोजना को भी शीघ्रता से पूरा किया जा सकता है। चूंकि यह लाइन समतल भूमि पर आधारित होगी, इसलिए इसमें सुरंग निर्माण जैसी जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया की जरूरत नहीं पड़ेगी।
उन्होंने बराक घाटी के सभी जागरूक नागरिकों से इस रेल परियोजना की मांग को लेकर एकजुट होने की अपील की। बीडीएफ की ओर से संयोजक ऋषिकेश डे ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह जानकारी दी।

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