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असम हिंदीभाषी ब्राह्मण महासभा द्वारा आयोजित दो दिवसीय ऑनलाइन पंचांग कार्यशाला सफलतापूर्वक हुआ संपन्न

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आचार्य अमन तिवारी द्वारा पंचांग शास्त्र से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर मिली जानकारी 
शिलचर, 3 मार्च। असम हिंदीभाषी ब्राह्मण महासभा द्वारा आयोजित दो दिवसीय ऑनलाइन पंचांग कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कार्यशाला 1 और 2 मार्च 2025 को आयोजित की गई। उक्त कार्यशाला में पंचांग शास्त्र से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा हुई। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य सदस्यों को पंचांग के वैज्ञानिक एवं धार्मिक महत्व से अवगत कराना था, जिससे वे अपने दैनिक जीवन में पंचांग के उपयोग को समझ सकें और उसे उचित रूप से अपना सकें। इस कार्यशाला में प्रतिष्ठित विद्वान तथा आचार्य अमन तिवारी ने ग्रह-नक्षत्र, तिथि, मुहूर्त, पंचांग का दैनिक जीवन में महत्व, विवाह में 10 दोष विचार, मेलापक, पंचक विचार आदि विषयों पर गहन चर्चा की। इस आयोजन से संगठन के सदस्यों को पंचांग शास्त्र की गहरी समझ मिली, जिससे वे इसे अपने जीवन में प्रभावी रूप से अपना सकें। महासभा इस सफल कार्यशाला के लिए आचार्य का आभार प्रकट करते हुए भविष्य में ऐसे ज्ञानवर्धक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए संकल्पित है। कार्यशाला सफल पूर्वक संपन्न हो, संयोजक की जिम्मेदारी संगठन के महासचिव मनीष उपाध्याय और सह – सचिव सुप्रिया चौबे पर थी। इसके अलावा संगठन के संयुक्त सचिव कमलेश तिवारी, सांस्कृतिक सचिव अंजनी दीक्षित और विशेष रूप से व्यवस्था में संगठन के अध्यक्ष नरवदेश्वर दुबे का भी योगदान रहा। विशेष रूप से निम्नलिखित विषयों पर गहन विमर्श हुआ।

1. ग्रह एवं नक्षत्रों का प्रभाव – दैनिक जीवन में ग्रहों एवं नक्षत्रों की भूमिका और उनका ज्योतिषीय महत्व।
2. तिथियों की महत्ता – प्रत्येक तिथि का धार्मिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव तथा उनके शुभ-अशुभ पक्ष।
3. दैनिक जीवन में पंचांग का महत्व – पंचांग को पढ़ने और समझने की विधि तथा उसका दिनचर्या में उपयोग।
4. पंचांग परिचय – पंचांग के विभिन्न अंग, उनके गणितीय एवं धार्मिक आधार।
5. मुहूर्त – शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त निर्धारण की विधि तथा विभिन्न अवसरों के लिए उपयुक्त समय चयन।
6. विवाह में 10 दोष विचार – विवाह के लिए कुंडली मिलान में आने वाले 10 प्रमुख दोषों का विश्लेषण एवं उनके निवारण के उपाय।
7. मेलापक एवं गुण मिलान – वर-वधू की कुंडली मिलान में आवश्यक कारक एवं उनका प्रभाव।
8. पंचक विचार – पंचक काल की महत्ता, उसके दौरान किए जाने वाले कार्यों के नियम एवं उससे जुड़े मिथक। आयोजित कार्यशाला में संगठन के सभी सदस्यों को अत्यधिक लाभ प्राप्त हुआ। विद्वान वक्ताओं द्वारा दिए गए गहन ज्ञान और उनके व्यावहारिक दृष्टिकोण ने प्रतिभागियों को पंचांग को सही ढंग से समझने और उसे अपने जीवन में उपयोग करने की प्रेरणा दी।

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