कोराना महामारी 2019 में विश्व में शुरू हुई लेकिन तांडव 2020 में शुरू किया.विश्व के संपन्न देश हो चाहे फटेहाल पाकिस्तान जैसे देश सब निरुपाय थे. किसी के पास ना तो साधन ना ही अनुभव ना ही अंदाज था लेकिन भारत ने बहुत ही कम समय में सभी साधन जुटाने, वैक्सीन तैयार करने अधिकाधिक संख्या में बिस्तर मास्क, वैंटीलेटर, पीपीई कीट सहित रोगियों को देने वाली सुविधा के लिए दिनरात काम किया कि 2021 में आये दुसरे दौर में आक्सीजन की कमी के कारण संकट मे जरूर आया लेकिन सारे विश्व के देशों ने एयरक्राफ्ट द्वारा इतनी आक्सीजन भेजी कि देश उबरने लगा. देश के उद्योगपतियों ने ओद्योगिक गैस को आक्सीजन बनाने तथा जरूरत के अनुसार गंतव्य तक पंहुचाने का बेङा उठाया. जगह जगह आक्सीजन के प्लांट लगाने लगे.हर मेडिकल कॉलेज तथा बङे अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट अनिवार्य कर दिया गया.
पिछली बार ंएक लाख से अधिक केस नहीं आये लेकिन इस बार चार लाख पार कर गया. लेकिन केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार वैक्सीन टीकाकरण के साथ साथ दुसरे कोविद प्रकोप से लङने के लिए अनथक प्रयास किया जिससे स्थिति तेजी से बदल गयी. सरकार मुफ्त इलाज भोजन दवा देने के साथ साथ मुफ्त वैक्सीन तो मुफ्त राशन लंबे अरसे तक देनी की घोषणा की है लेकिन आर्थिक रूप से निम्न मध्यम तथा उच्च वर्ग सबके लिए सरकार लाक डाउन में कुछ ना कुछ राहत अवश्य दे रही है इससे अधिक भला कहाँ तक संभव है. मुझे नहीं लगता कि बिना बुलाये आया मेहमान इतनी जल्दी वापस चला जायेगा इसलिए हर भारतीय को इस सांचे में अपने आप को ढालना पङेगा कि उसे किसी की मदद नहीं चाहिए.बुनियादी सुविधाओं के लिए सरकार है बिजली पानी सड़क चिकित्सा शिक्षा आदि के लिए लेकिन इसके अलावा भी हर नागरिक को रोटी रोजी चाहिए इसके लिए उन्हें स्वयंसिद्ध बनना होगा. ऐसी बिमारी हो सकता है कि कई सालों तक चलती रहे तो हमें सामान्य नियमों का पालन करने के अलावा अपने आप को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करना होगा. 1918-1920 यानि सौ साल पहले प्लेग विदेशों आया था उसमें काफी लोग मारे गए थे क्योंकि साधन एवं इलाज नहीं था लेकिन आज भारत इतना सक्षम है कि इस महामारी से जमकर मुकाबला किया.