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कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं पुरातनाध्ययन विश्वविद्यालय में ‘विश्वविद्यालय महोत्सव’ का भव्य समापन

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प्रेरणा प्रतिवेदन नलबाड़ी, 7 मार्च: कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं पुरातनाध्ययन विश्वविद्यालय में आयोजित ‘विश्वविद्यालय महोत्सव’ का शुक्रवार को रंगारंग कार्यक्रम के साथ समापन हुआ। महोत्सव के अंतिम दिन एक भव्य सांस्कृतिक जुलूस निकाला गया, जिसमें छात्र-छात्राओं ने पारंपरिक वेशभूषा में भाग लिया और विभिन्न लोक कलाओं का प्रदर्शन किया। इसके बाद प्रतियोगिताओं का समापन हुआ तथा दोपहर में पुरस्कार वितरण समारोह एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया।
उद्घाटन समारोह और विशिष्ट अतिथि
इस भव्य कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रह्लाद आर. जोशी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में भट्टादेव विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. धनपति डेका, नलबाड़ी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. कमल नयन पटवारी तथा महेंद्र नारायण चौधरी गर्ल्स कॉलेज की प्राचार्या डॉ. गार्गी चक्रवर्ती उपस्थित रहे।
इस अवसर पर रजिस्ट्रार डॉ. विकास भार्गव शर्मा ने स्वागत भाषण दिया और महोत्सव के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। अपने संबोधन में कुलपति डॉ. जोशी ने छात्रों को पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक शिक्षा के समन्वय पर जोर देते हुए कहा कि संस्कृत एवं प्राचीन अध्ययन के क्षेत्र में नई शोध संभावनाएं विकसित करनी होंगी। उन्होंने छात्रों को अपनी जड़ों से जुड़े रहने और वैश्विक मंच पर भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने की प्रेरणा दी।
अन्य अतिथियों ने भी अपने विचार साझा किए। प्रो. धनपति डेका ने संस्कृत अध्ययन की वर्तमान स्थिति और उसकी भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला, जबकि डॉ. कमल नयन पटवारी ने छात्रों को सतत अध्ययन और नवाचार की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
महोत्सव के अंतर्गत विभिन्न साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं में वाद-विवाद, श्लोक-पाठ, संस्कृत नाटक, चित्रकला, निबंध लेखन, शास्त्रीय संगीत, लोकगीत, लोकनृत्य और नाटक जैसी विधाओं में छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। विजयी प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। पुरस्कार वितरण समारोह का संचालन छात्र कल्याण निदेशक डॉ. पंकज कुमार शर्मा ने किया, जिन्होंने कार्यक्रम का प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया।
शाम को आयोजित सांस्कृतिक संध्या में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं एवं आमंत्रित कलाकारों ने विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। पारंपरिक सत्रिया नृत्य, भरतनाट्यम, ओडिसी नृत्य एवं लोकगीतों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके अलावा, छात्रों द्वारा प्रस्तुत संस्कृत नाटिका विशेष आकर्षण का केंद्र रही।
विश्वविद्यालय महोत्सव – संस्कृति और शिक्षा का संगम
इस महोत्सव ने विश्वविद्यालय परिसर को एक सांस्कृतिक एवं बौद्धिक चेतना के केंद्र के रूप में परिवर्तित कर दिया। आयोजन ने न केवल छात्रों में उत्साह एवं प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत की, बल्कि उनकी सांस्कृतिक और अकादमिक क्षमताओं को भी निखारने का अवसर प्रदान किया।
कुलपति डॉ. प्रह्लाद आर. जोशी ने समापन समारोह में विश्वविद्यालय परिवार को धन्यवाद देते हुए कहा, “इस महोत्सव ने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहित किया है। हम आशा करते हैं कि आने वाले वर्षों में यह आयोजन और भव्यता के साथ आयोजित होगा।”
इस महोत्सव ने छात्रों, शिक्षकों और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच एकता और सौहार्द को मजबूत किया और संस्कृत एवं प्राचीन अध्ययन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

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