करीमगंज पुलिस प्रशासन ने त्रिपुरा राज्य के सुनामोरा इलाके से 39 दिनों के बाद अपहरण किए गए दो ड्राइवरों को सुरक्षित बचा लिया। इस सफल अभियान के बाद रविवार रात को स्थानीय ग्रामीणों ने असम पुलिस, त्रिपुरा के विशालगढ़ पुलिस प्रशासन और करीमगंज जिले के अल्पसंख्यक बोर्ड के अध्यक्ष इकबाल हुसैन का जोरदार स्वागत किया। ग्रामीणों ने जुलूस निकालकर “जिंदाबाद” के नारे लगाए और उनके प्रयासों की सराहना की।
कैसे हुआ अपहरण?
पीड़ित ड्राइवरों के अनुसार, उन्हें कार लोन दिलाने के बहाने घर से बुलाया गया और फिर अगवा कर लिया गया। इसके बाद उन्हें त्रिपुरा के सुनामोरा इलाके में ले जाकर अलग-अलग स्थानों पर रखा गया, जहां दिन-रात बेरहमी से पीटा गया और लगातार धमकियां दी गईं। अपहरणकर्ताओं ने उनकी रिहाई के बदले एक करोड़ रुपये की फिरौती की मांग की और जान से मारने की धमकी दी।
परिवार पर फिरौती का दबाव
ड्राइवर के भाई अलाल उद्दीन ने बताया कि अपहरणकर्ताओं ने बार-बार फिरौती की रकम बढ़ाते हुए पहले 10 मिलियन, फिर 50 मिलियन, 30 मिलियन और अंत में 10 मिलियन टका की मांग की। परिवार ने किसी भी तरह पांच लाख टका की व्यवस्था की, लेकिन जब उन्हें निर्दिष्ट स्थान पर सौंपने गए, तो अपहरणकर्ता गायब हो गए।
पुलिस की शानदार कार्रवाई
विशालगढ़ पुलिस की मदद से करीमगंज पुलिस ने ऑपरेशन को अंजाम देते हुए दोनों ड्राइवरों को सुरक्षित बचा लिया। इसके अलावा, तीन अपराधियों को भी गिरफ्तार किया गया। पकड़े गए आरोपियों में शामिल हैं:
- समीम अहमद (फैजुल ड्राइवर का बेटा, अचिमगंज)
- रिजाल अहमद (मैनुल हक का बेटा, सालेपुर)
- शकीर अहमद (हुसैन अहमद का बेटा, सैदखानी गांव)
- सुल्तान अहमद (उमा)
- ताजुल हक (अचिमगंज)
स्थानीय लोगों की मांग: सख्त सजा
इस घटना से आक्रोशित स्थानीय लोगों ने अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाकर कठोर कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
इस सफल बचाव अभियान ने पुलिस प्रशासन और स्थानीय नेतृत्व की तत्परता को साबित कर दिया है, जिससे लोगों में सुरक्षा को लेकर विश्वास बढ़ा है।




















