प्रेरणा ब्यूरो शिलचर, 11 मार्च: शिलचर के ऐतिहासिक गांधी मेला में लंबे समय से चल रहे अवैध जुआ कारोबार के खिलाफ इस बार कड़ा विरोध दर्ज किया गया, जिसके चलते प्रशासन को इसे हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि इस अवैध कारोबार को संरक्षण देने वालों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या यह महज एक दिखावटी कदम था?
गौरतलब है कि बीते कई वर्षों से प्रशासन की रोक के बावजूद गांधी मेला के अंदर खुलेआम जुए का कारोबार चलता आ रहा था। इस बार एक युवा समाजसेवी के विरोध और फेसबुक लाइव के चलते यह मामला सार्वजनिक हुआ, जिससे प्रशासन पर दबाव बढ़ा और जुए के अड्डे को बंद किया गया।
लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, मेला परिसर में मौजूद पुलिस चौकी और पास ही स्थित तारापुर पुलिस फाड़ी इस पूरे घटनाक्रम के दौरान निष्क्रिय बनी रही। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि तत्कालीन आईसी और कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार चलता रहा। यही नहीं, इस जुए के खेल में स्थानीय भाजपा नेता की संलिप्तता की भी चर्चाएं जोरों पर हैं।
फेसबुक लाइव के दौरान गिरफ्तार जुआरियों ने दो मुख्य साजिशकर्ताओं के नाम स्पष्ट रूप से लिए थे, इसके बावजूद इस पूरे नेटवर्क पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर किसके प्रभाव और दबाव में पुलिस प्रशासन इस मुद्दे पर चुप्पी साधे बैठा है?
शहर के जागरूक नागरिकों का कहना है कि अगर जल्द ही गांधी मेला में अवैध गतिविधियों को संरक्षण देने वालों पर कानूनी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह प्रशासनिक व्यवस्था पर गहरा सवाल खड़ा करेगा और आम जनता में असंतोष बढ़ेगा। शिलचर की कानून-व्यवस्था को लेकर बढ़ रही चिंता को देखते हुए, प्रशासन को निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई करनी होगी, वरना इस तरह की अवैध गतिविधियों को खुला संरक्षण मिलने का सिलसिला जारी रहेगा।




















