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।। होलिका दहन स्तोत्र ।।

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सभी देशवासियों को
पावन होलिका दहन पर्व
की हार्दिक शुभकामनाएं !

।। होलिका दहन स्तोत्र ।।

होली जलाते समय या होली जलाने के बाद तीन या पांच परिक्रमा करने के पश्चात होलिका को दोनों हाथो से नमस्कार करके यह स्तोत्र बोलने से होलिका माता मनुष्य के सभी पापो को हर लेती है, सभी सन्तापों को हर लेती है, और सभी प्रकार से कल्याण करती है होलिका जगन्माता बन के सर्वसिद्धियाँ प्रदान करती हैं, सुखशान्ति प्रदान करती हैं।

*  होलिका दहन स्तोत्र  *

ॐ महाज्वालाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि। तन्नो अग्निः प्रचोदयात्।

अर्थ-
ॐ, मैं उस महान् ज्योति का, अग्निदेव का ध्यान करता हूँ। वह (शुभ) अग्नि हमें (समृद्धि और कल्याण की ओर) प्रेरित करे।

पापं तापं च दहनं कुरु कल्याणकारिणि।
होलिके त्वं जगद्धात्री होलिकायै नमो नमः।।

होलिके त्वं जगन्माता सर्वसिद्धिप्रदायिनी।
ज्वालामुखी दारूणा त्वं सुखशान्तिप्रदा भव।।

वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च।
अतस्त्वं पाहिनो देवि भूते भूतिप्रदा भव।।

अस्माभिर्भय सन्त्रस्तैः कृत्वा त्वं होलि बालिशैः।
अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।

त्वदग्नि त्रिः परिक्रम्य गायन्तु च हसंतु च।
होलिके त्वं जगद्धात्री होलिकायै नमो नमः।।

होलिके त्वं जगन्माता सर्वसिद्धिप्रदायिनी।
ज्वालामुखी दारूणा त्वं सुखशान्तिप्रदा भव।।

वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च।
अतस्त्वं पाहिनो देवि भूते भूतिप्रदा भव।।

अस्माभिर्भय सन्त्रस्तैः कृत्वा त्वं होलि बालिशैः।
अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।

त्वदग्नि त्रिः परिक्रम्य गायन्तु च हसंतु च।
जल्पन्तु स्वेछ्या लोकाः निःशङ्का यस्य यन्मतम्।।

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय महाचक्राय महाज्वालाय दीप्तिरूपाय सर्वतो रक्ष रक्ष मां महाबलाय नमः।

ॐ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय पराय परम पुरूषाय  परमात्मने परकर्म मंत्र यंत्र औषध अस्त्र शस्त्राणि संहर संहर  मृत्योर्मोचय मोचय ओम नमो भगवते सुदर्शनाय दीप्ते ज्वालादित्याय, सर्वदिक् क्षोभण कराय हूं फट् ब्रहणे परं ज्योतिषे नमः।

ॐ नमो भगवते सुदर्शनाय वासुदेवाय, धन्वंतराय अमृतकलश हस्ताय, सकला भय विनाशाय, सर्व रोग निवारणाय त्रिलोक पतये, त्रिलोकीनाथाय  ॐ श्री महाविष्णु स्वरूपाय ॐ श्रीं ह्मीं ऐं औषधि चक्र नारायणाय  फट्!!

ॐ ऐं ऐं अपराजितायै क्लीं क्लीं नमः।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं हूं हूं त्रैलोक्यमोहन विष्णवे नमः।

ॐ त्रैलोक्यमोहनाय च विद्महे, आदिकामदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्।

ॐ तेजोरूपाय च विद्महे, विष्णु पत्न्यै धीमहि। तन्नो श्री: प्रचोदयात्।

इस साल होलिका दहन १३ मार्च २०२५ गुरुवार और १४ मार्च २०२५ को होली खेली जाएगी। होलिका दहन के लिए लकड़ी और उपले आदि एकत्रित किए जाते हैं। होलिका दहन से पूर्व उसमें गुलाल समेत अन्य सामग्रियां डाली जाती हैं। होलिका की अग्नि को अत्यंत पवित्र माना गया है। मान्यता है कि होलिका की अग्नि में कुछ विशेष चीजों को डालने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

।। पावनपर्व होलिका दहन की शुभकामनाएं ।।

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