प्रे.स. शिलचर, 17 मार्च: अखिल भारतीय लोकतांत्रिक छात्र संगठन (एआईडीएसओ) की काछाड़ जिला समिति ने आज जिला उपायुक्त के माध्यम से भारत के शिक्षा मंत्री को सीयूईटी (कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट) परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। जिला उपायुक्त की अनुपस्थिति में अतिरिक्त उपायुक्त को यह ज्ञापन सौंपा गया।
एआईडीएसओ के प्रतिनिधियों ने कहा कि सीयूईटी परीक्षा को अनिवार्य करने का मुख्य उद्देश्य शिक्षा का केंद्रीकरण करना है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस परीक्षा के कारण हायर सेकेंडरी उत्तीर्ण छात्रों के लिए कॉलेजों में प्रवेश की राह कठिन हो गई है, जिससे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अवसर सीमित हो रहे हैं।
असम विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों के छात्रों को हो रही परेशानी
एआईडीएसओ नेताओं ने बताया कि केंद्र सरकार ने इस परीक्षा के आयोजन की जिम्मेदारी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को सौंपी है। पिछले वर्ष असम विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में प्रवेश के लिए इस परीक्षा को अनिवार्य कर दिया गया था। लेकिन परीक्षा केंद्रों के असमान वितरण से छात्र-छात्राओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि पूरे बराक घाटी क्षेत्र में केवल काछाड़ जिले में परीक्षा केंद्र स्थापित किया गया, जबकि बंगाली भाषा के लिए परीक्षा केंद्रों को असम के बाहर गुवाहाटी, तेजपुर, कोकराझार, डिब्रूगढ़, शिलांग, आइजोल और अगरतला जैसे दूरस्थ स्थानों में रखा गया। इसके कारण कई छात्रों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचना संभव नहीं हुआ।
उच्च परीक्षा शुल्क भी बना बाधा
इसके अलावा, परीक्षा शुल्क भी कई छात्रों के लिए वहन करना कठिन था। एनटीए द्वारा निर्धारित शुल्क आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए अत्यधिक बोझ साबित हुआ, जिससे वे परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो सके।
एआईडीएसओ नेताओं ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 शिक्षा के निजीकरण और व्यावसायीकरण की दिशा में एक कदम है, और सीयूईटी परीक्षा इस उद्देश्य को आगे बढ़ाने का एक माध्यम है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह परीक्षा गरीब और ग्रामीण छात्रों को उच्च शिक्षा से वंचित करने की साजिश है।
संगठन ने परीक्षा को पूरी तरह रद्द करने की मांग की
ज्ञापन सौंपने के दौरान जिला समिति की अध्यक्ष स्वागता भट्टाचार्य, उपाध्यक्ष आपन लाल दास, सदस्य अरूप मलाकार सहित अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे। उन्होंने सरकार से सीयूईटी परीक्षा को पूरी तरह से रद्द करने की मांग की और कहा कि यदि सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।