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पेयजल संकट से त्रस्त सिलचर का रामकृष्ण पल्ली, चुनाव प्रचार के बहिष्कार का ऐलान

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सिलचर: असम के दूसरे सबसे बड़े शहर सिलचर के रामकृष्ण पल्ली इलाके के निवासियों के लिए पीने का पानी किसी दुर्लभ वस्तु से कम नहीं है। हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि जब तक कोई मंत्री, नेता या वीआईपी बराक घाटी का दौरा नहीं करता, तब तक इस क्षेत्र में जलापूर्ति सुचारु नहीं होती। वर्षों से चली आ रही इस समस्या के समाधान के लिए स्थानीय लोग विभागीय अधिकारियों और मंत्रियों से बार-बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

स्थिति इतनी गंभीर है कि स्वामी विवेकानंद बहुमुखी विद्यामंदिर हाई स्कूल में मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) सप्ताह में चार से पांच दिन बंद रहता है। छात्रों को शौचालय की सुविधा भी नहीं मिल पा रही, जिससे उनकी सेहत और पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है।

सरकारी तंत्र की अनदेखी पर आक्रोशित स्थानीय लोगों ने बुधवार को एकजुट होकर घोषणा की कि इस बार चुनाव प्रचार के लिए आने वाले किसी भी नेता को क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

निगम और प्रशासन एक-दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी

रामकृष्ण पल्ली, जो सिलचर के मालुग्राम क्षेत्र में स्थित है, में हजारों लोग निवास करते हैं। लेकिन जिम्मेदार विभागों की उदासीनता के कारण वे नियमित रूप से पेयजल सुविधा से वंचित हैं। शिकायत करने पर नगर पालिका पीड़ितों को जिला प्रशासन के पास भेज देती है, और जिला प्रशासन इसे वापस नगर पालिका के पाले में डाल देता है। इस आपसी खींचतान के बीच आम जनता जल संकट से जूझ रही है।

स्थानीय निवासी सुदीप चक्रवर्ती ने कहा, “नगर पालिका, जिला प्रशासन और सार्वजनिक स्वास्थ्य तकनीकी विभाग हमारे साथ मजाक कर रहे हैं। सरकार ‘हर घर नल से जल’ योजना के तहत 55 लीटर पानी देने की बात करती है, लेकिन हमारा क्षेत्र अब भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।”

बड़ा सवाल यह है कि सिलचर के इस इलाके के लोगों को नियमित पानी कब मिलेगा? क्या सरकार इस गंभीर समस्या का समाधान निकालेगी, या फिर लोगों को अपने अधिकारों के लिए और कठोर कदम उठाने पड़ेंगे?पेयजल संकट से त्रस्त सिलचर का रामकृष्ण पल्ली, चुनाव प्रचार के बहिष्कार का ऐलान

सिलचर: असम के दूसरे सबसे बड़े शहर सिलचर के रामकृष्ण पल्ली इलाके के निवासियों के लिए पीने का पानी किसी दुर्लभ वस्तु से कम नहीं है। हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि जब तक कोई मंत्री, नेता या वीआईपी बराक घाटी का दौरा नहीं करता, तब तक इस क्षेत्र में जलापूर्ति सुचारु नहीं होती। वर्षों से चली आ रही इस समस्या के समाधान के लिए स्थानीय लोग विभागीय अधिकारियों और मंत्रियों से बार-बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

स्थिति इतनी गंभीर है कि स्वामी विवेकानंद बहुमुखी विद्यामंदिर हाई स्कूल में मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) सप्ताह में चार से पांच दिन बंद रहता है। छात्रों को शौचालय की सुविधा भी नहीं मिल पा रही, जिससे उनकी सेहत और पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है।

सरकारी तंत्र की अनदेखी पर आक्रोशित स्थानीय लोगों ने बुधवार को एकजुट होकर घोषणा की कि इस बार चुनाव प्रचार के लिए आने वाले किसी भी नेता को क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

निगम और प्रशासन एक-दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी

रामकृष्ण पल्ली, जो सिलचर के मालुग्राम क्षेत्र में स्थित है, में हजारों लोग निवास करते हैं। लेकिन जिम्मेदार विभागों की उदासीनता के कारण वे नियमित रूप से पेयजल सुविधा से वंचित हैं। शिकायत करने पर नगर पालिका पीड़ितों को जिला प्रशासन के पास भेज देती है, और जिला प्रशासन इसे वापस नगर पालिका के पाले में डाल देता है। इस आपसी खींचतान के बीच आम जनता जल संकट से जूझ रही है।

स्थानीय निवासी सुदीप चक्रवर्ती ने कहा, “नगर पालिका, जिला प्रशासन और सार्वजनिक स्वास्थ्य तकनीकी विभाग हमारे साथ मजाक कर रहे हैं। सरकार ‘हर घर नल से जल’ योजना के तहत 55 लीटर पानी देने की बात करती है, लेकिन हमारा क्षेत्र अब भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।”

बड़ा सवाल यह है कि सिलचर के इस इलाके के लोगों को नियमित पानी कब मिलेगा? क्या सरकार इस गंभीर समस्या का समाधान निकालेगी, या फिर लोगों को अपने अधिकारों के लिए और कठोर कदम उठाने पड़ेंगे?

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