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वह

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गहरे अंधेरे में
एक नन्हीं जुगनू।
मैं, एक जलती हुई लौ।
विस्तर में
गिरा हुआ मुरझाया रजनीगंधा।
या शायद,
किसी अनजाने किनारे पर,
एक मासूम चातक बेसहारा पड़ा।
वह मेरी कहानी की शुरुआत,
वह मेरी कहानी का अंत,
और मैं…
उसके छोड़ी हुई
एक छोटी सी कहानी—
शुरुआत में अचरज,
अंत में रहस्य…
बिल्कुल प्यार की तरह,
बिल्कुल जुदाई की तरह।
 बबिता बोरा
पेशे से कवि और लेखिका, वे शिलचर, असम पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के रूप में काम करती हैं।

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