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बीएसएफ की बीओपी चौकीचार, 41वी बटालियन के कुछ बेहद ईमानदार जवानों, स्थानीय नागरिक और एनजीओ ने 75 गौवंशों को तस्करों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार कराते हुए चिन्हित किया।
ये गोवंश अंतरराष्ट्रीय सीमा से 25 किमी दूर गोलपारा जिले से कटलामारी, कटियारलगा, पत्राचार और मोटखावा पार कराते हुए लिए गए थे। अन्य 25 गौवंशों को मेघालय के सुखचार घाट पर तस्करी के लिए तैयार रखा गया था। यह स्थान बीओपी एनडीए, 41 बटालियन से 7 कीमी दूर है। यह जगह बीओपी बोरेरलगा, 6 बटालियन टिकरीकाला, हाजीराथ, सुखचार और कासारीपारा के पास है।
तस्करों ने गौवंशों को पेङ के तनों और टहनियों से बांध कर जलकुम्भी घास में छुपाकर, आधी रात में नदी में तैराकर, तस्करी करने की तैयारी कर रखी थी। यह घटना असम में तस्करों के दुस्साहस को दर्शाती है।
आखिर पुलिस ने कैसे रास्ते में पङने वाले हर टोल-नाके से गौवंशों को जाने दिया। असम बीएसएफ ने कैसे इन्हें सीमा तक पहुंचने दिया।
क्या इन्हें पकङना किसी एनजीओ की जिम्मेदारी है? आखिर बीएसएफ के एडीजी क्या कर रहे थे? लगता है उन्होनें मुंह मोङ लिया है।