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प्रे.स. शिलचर, 3 अप्रैल: बांग्ला भाषा के अधिकार की रक्षा के लिए मुखर होने पर 67 वर्ष की उम्र में उन्हें जेल भेजा गया था। परिसीमन के जरिए बराक की दो सीटें काटे जाने के विरोध में कदम उठाने के कारण, घटना के दो साल बाद, बराक डेमोक्रेटिक फ्रंट के मुख्य संयोजक प्रदीप दत्त राय के खिलाफ फिर से मामला दर्ज किया गया है।
मामला संख्या जी.आर.-1364/2023 के तहत उन्हें 6 मई को श्रीभूमि जिले की अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया है। करीमगंज पुलिस की ओर से यह मामला डीएसपी गीतार्थ देव शर्मा, एसआई लीला प्रसाद शर्मा और राताबाड़ी थाने के एसआई सूरज दत्त द्वारा दर्ज किया गया है। इस मामले में करीमगंज कॉलेज के प्राचार्य रामानुज चक्रवर्ती और वर्तमान में होजाइ जिले में कार्यरत बैंक प्रबंधक सुजीत चौधरी ने गवाही दी है।
मामले का कारण बताया गया है कि परिसीमन के चलते बराक की दो विधानसभा सीटें काटे जाने के विरोध में, 27 जून 2023 को बराक डेमोक्रेटिक फ्रंट की ओर से 12 घंटे के सर्वव्यापी बंद का आह्वान किया गया था, जिसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, सीपीआई(एम), एआईयूडीएफ और आम आदमी पार्टी ने समर्थन दिया था। पुलिस का आरोप है कि इस बंद को सफल बनाने के लिए प्रदीप दत्त राय की उकसाने वाली भूमिका थी, जिसके कारण करीमगंज के लोगों को डराया गया, उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने दिया गया, दुकानों को जबरन बंद कराया गया। पुलिस का यह भी आरोप है कि पिकेटरों ने उस दिन सड़क अवरुद्ध की, आपातकालीन सेवाओं को बाधित किया और कुछ लोगों ने जनता को धमकाया, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हनन के समान है। यहां तक कि कुछ लोगों ने “रेल रोको” कार्यक्रम आयोजित करने की भी योजना बनाई थी। इन सब कारणों से भारतीय दंड संहिता की धारा 341/506/186 के तहत यह मामला दर्ज किया गया है।
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बीडीएफ मीडिया सेल के संयोजक जयदीप भट्टाचार्य ने कहा कि इस संबंध में कुछ बातें ध्यान देने योग्य हैं। हालांकि एफआईआर में बीडीएफ के साथ अन्य दलों के नाम भी शामिल हैं, लेकिन केवल बीडीएफ के मुख्य संयोजक का नाम लिया गया है, जबकि अन्य दलों के किसी भी पदाधिकारी का उल्लेख नहीं किया गया है। दूसरा, कछार और हैलाकांडी को छोड़कर केवल करीमगंज जिला प्रशासन द्वारा यह मामला क्यों दर्ज किया गया, यह भी संदेहास्पद है। तीसरा, घटना के दो साल बाद अचानक यह मामला दर्ज किया गया है। जयदीप ने कहा कि इन सभी तथ्यों से यह स्पष्ट है कि करीमगंज पुलिस ने केवल बीडीएफ के मुख्य संयोजक को परेशान करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया है।
उन्होंने आगे कहा कि 2023 में पुनर्संरचना के नाम पर बराक घाटी की दो सीटों को पूरी तरह से अन्यायपूर्ण तरीके से हटा दिया गया, जिससे बराक के हर वर्ग के लोगों में आक्रोश था। इसी के विरोध में बीडीएफ ने बंद का आह्वान किया, जिसे विभिन्न विपक्षी दलों ने समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि इस बंद में जनता की भागीदारी इतनी स्वाभाविक थी कि बीडीएफ को एक भी पिकेटर उतारने की जरूरत नहीं पड़ी। बराक के हर क्षेत्र में स्थानीय जनता ने स्वतःस्फूर्त होकर इस बंद को पूरी तरह सफल बनाया। इसलिए डराने-धमकाने या किसी भी तरह की जबरदस्ती करने का आरोप पूरी तरह से झूठा है। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर करीमगंज पुलिस के पास कोई ठोस सबूत है, तो वह इसे सार्वजनिक करे।
जयदीप ने कहा कि कोई भी अदालत जनता के स्वतःस्फूर्त लोकतांत्रिक आंदोलन के खिलाफ नहीं जा सकती। बंद के दौरान जबरन दुकानें बंद कराना या सरकारी और गैर-सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर अदालतें पहले भी कार्रवाई करने की बात कह चुकी हैं।
बीडीएफ मीडिया सेल के संयोजक ने कहा कि बराक डेमोक्रेटिक फ्रंट ही इस उपत्यका की एकमात्र पार्टी है, जो वर्षों से सरकार के भेदभाव और यहां की समस्याओं को लेकर लगातार आवाज उठा रही है। वे पूरी तरह लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन और विरोध कर रहे हैं। प्रशासन बार-बार उनके स्वर को दबाने के लिए इस तरह के दुर्भावनापूर्ण कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों से उनके लोकतांत्रिक अधिकार छीने नहीं जा सकते, क्योंकि बराक की बड़ी संख्या में जनता का समर्थन और शुभकामनाएं उनके साथ हैं। उन्होंने करीमगंज पुलिस प्रशासन से इस मामले को तत्काल वापस लेने का आह्वान किया। अन्यथा, बीडीएफ इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा।
बीडीएफ की ओर से संयोजक ऋषिकेश दे ने एक प्रेस बयान के माध्यम से यह जानकारी दी।





















