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इस रंगीन दुनिया के हर समाज में कुछ भटके हुए लोग होते हैं, जो अपने कुकर्मों के माध्यम से पूरे समाज की गरिमा को कलंकित करते हैं। मुस्लिम समाज भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन अगर मुस्लिम समाज के जागरूक और बुद्धिजीवी वर्ग समय रहते इन असभ्यों के खिलाफ खड़ा नहीं होता, तो पूरा समाज बदनामी से ग्रस्त हो जाएगा।
मुस्लिम समाज में कुछ असभ्य और विकृत मानसिकता के लोग छिपकर खुद को इस्लाम का अनुयायी बताते हैं, जबकि वे विभिन्न प्रकार के कुकर्मों में लिप्त होते हैं। धर्म की गलत व्याख्या, सामाजिक पतन, लालच और बेईमानी के कारण वे ऐसे कार्य करते हैं, जो इस्लाम की वास्तविक शिक्षाओं के बिल्कुल विपरीत हैं। वे समाज में अराजकता फैलाते हैं और मुस्लिम समाज की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं।
इसलिए समाज के बुद्धिजीवियों और जागरूक नागरिकों को अब समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और अन्याय के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। जो लोग समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उनके खिलाफ तर्क और न्याय के आधार पर आवाज उठाकर उन्हें सामाजिक रूप से बहिष्कृत करने और कानूनी कार्रवाई के लिए जनता को संगठित करने की आवश्यकता है।
युवाओं में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि उन्हें नैतिक शिक्षा और सही दिशा-निर्देश दिए जाएँ, तो वे अपराध में लिप्त नहीं होंगे। परिवार, शिक्षण संस्थानों और धार्मिक संगठनों के माध्यम से इस शिक्षा का प्रचार अनिवार्य है।
समाज के राजनीतिक और धार्मिक नेताओं को भी ईमानदार और न्यायसंगत नेतृत्व प्रदान करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति धर्म के नाम पर अपराध करता है, तो उसे न्याय के दायरे में लाकर ऐसा दंड दिया जाना चाहिए कि भविष्य में कोई और इस तरह के कार्य करने की हिम्मत न कर सके।
मुस्लिम समाज के कल्याण के लिए बुद्धिजीवियों को अब आगे आना होगा। यदि वे समय पर कदम नहीं उठाते, तो असभ्य लोगों के कुकर्म पूरे समाज को कलंकित कर देंगे। ईमानदारी, न्याय और नैतिक शिक्षा के बिना कोई भी समाज टिक नहीं सकता। इसलिए, अब समय आ गया है कि हम सचेत हों और अन्याय के खिलाफ खड़े हों। मुस्लिम समाज की गरिमा बनाए रखने के लिए सत्य के पक्ष में खड़ा होना और असभ्य लोगों का प्रतिरोध करना अत्यंत आवश्यक है।
– राजू दास




















