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करीमगंज जिले का नाम बदलने के विरोध में शिलचर में नागरिक सभा, विविध संगठनों ने जताई एकजुटता

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प्रे.स. शिलचर, 5 अप्रैल: शुक्रवार को नागरिक अधिकार सुरक्षा समन्वय समिति, असम की काछाड़ जिला इकाई के आह्वान पर शिलचर के गोलदिघी मॉल के सामने करीमगंज जिले के नाम परिवर्तन के खिलाफ बने जनआंदोलन के समर्थन में एक विरोध सभा आयोजित की गई।सभा की शुरुआत में समिति के काछाड़ जिला सचिव मधुसूदन कर ने सभा के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह केवल एक नाम बदलने का मामला नहीं, बल्कि असम सरकार द्वारा जनता की राय को दरकिनार कर तानाशाही ढंग से लिया गया निर्णय है, जिसका व्यापक असर लोगों की भावनाओं पर पड़ेगा। सभा को संबोधित करते हुए स्वतंत्रता संग्राम के गौरवशाली इतिहास से जुड़े करीमगंज जिले का नाम परिवर्तन प्रतिरोध नागरिक समिति के प्रमुख संयोजक अरुणांशु भट्टाचार्य ने कहा कि नवंबर 2024 में राज्य सरकार ने बिना किसी जनपरामर्श या लोकतांत्रिक प्रक्रिया के इस निर्णय को कैबिनेट में पारित कर दिया। उन्होंने बताया कि करीमगंज जिले का नाम न केवल ऐतिहासिक आंदोलनों—जैसे स्वतंत्रता संग्राम और मातृभाषा आंदोलन—से जुड़ा है, बल्कि यह लोगों की पहचान और सम्मान से भी जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि बराक घाटी वर्षों से राज्य सरकार की उपेक्षा और भेदभाव का शिकार रही है। नाम बदलने का यह निर्णय इसी भटकाव की एक और कड़ी है, जिससे जनता का ध्यान असली मुद्दों से हटाया जा सके। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस फैसले को सही ठहराने के लिए विश्वकवि रवींद्रनाथ ठाकुर के कथन की गलत व्याख्या कर एक महान विभूति का अपमान किया गया है। सभा में समिति के एक अन्य संयोजक सनीत रंजन दत्त ने इस फैसले की तीव्र निंदा करते हुए कहा कि यह कदम जनता की भावना के विरुद्ध है। सीआरपीसीसी के सह-अध्यक्ष साधन पुरकायस्थ ने अपने वक्तव्य में कहा कि ब्रिटिश काल में श्रीहट्ट जिले का पहला उप-मंडल करिमगंज था, और यह नाम आमजन की भावनाओं से जुड़ा है। उन्होंने सवाल किया कि जब कभी इस नाम को बदलने की मांग नहीं उठी, तो फिर अचानक ऐसा क्यों किया गया? श्रमिक नेता निर्मल कुमार दास ने सरकार पर जनता की समस्याओं से ध्यान हटाने और देशभर में विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यदि श्रमिक वर्ग और आमजन अभी नहीं जागे तो भविष्य और भी संकटग्रस्त होगा। सभा में असम मज़दूर यूनियन के मृणाल कांति सोम, सोशल हार्मनी फोरम के अरिंदम देव, डॉ. एम. शांति कुमार सिंह, आदिमा मजुमदार, सीमांत भट्टाचार्य, श्यामदेव कुर्मी समेत कई वक्ताओं ने करिमगंज जिले के नाम परिवर्तन के खिलाफ जनआंदोलन के प्रति एकजुटता व्यक्त की। सभा का संचालन प्रो. अजय राय ने किया। इस मौके पर श्रमिक नेता हैदर हुसैन चौधुरी, मोलॉय भट्टाचार्य, संजय भट्टाचार्य, भवतोष चक्रवर्ती, हनीफ अहमद बड़भुइयाँ, यूनिस चौधुरी, दुलाली गांगुली, हिल्लोल भट्टाचार्य, पार्थप्रतिम धर, सत्यजीत गुप्ता, प्रवीर राय चौधुरी, नंददुलाल साहा, खादेजा लस्कर समेत अनेक विशिष्ट नागरिक मौजूद थे।यह सभा केवल विरोध नहीं, बल्कि बराक घाटी के जनमानस की आवाज थी—न्याय, पहचान और लोकतंत्र के समर्थन में उठती हुई एक संगठित पुकार

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