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रूपया केवल एक महत्व लाखों करोड़ों का मारवाड़ी सम्मेलन मे उदाहरण देखा गया

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जब जब संकट आता है तब तब मानव श्रंखला बनाकर हम संकट को घेर लेते हैं। एक एक बुंद से घङा भर जाता है लेकिन यह निवेदन भी किसी व्यक्ति विशेष को करने के साथ साथ स्वयं पहल करने से होता है।
  किरण शर्मा नामक युवक का दुर्घटना होने के कारण तुरंत शैल्य चिकित्सा के लिए पांच लाख रुपये चाहिए ऐसे मे अचानक चाहता तो कोई धनाड्य व्यक्ति एक साथ दे सकता था लेकिन नहीं किया गया। मारवाड़ी सम्मेलन के नव नियुक्त वरिष्ठ कार्यालय उपाध्यक्ष विनोद लोहिया ने दर्दनाक निवेदन करते हुए एक राशि स्वयं देकर शुरूआत की देखते देखते संगठनों के साथ साथ यथाशक्ति दानदाताओं ने झङी लगादी। सभी प्रशंसा के हकदार हैं वहीं जो पढकर चुपचाप बैठ कर पढ रहे हैं वो भी साधुवाद के पात्र है क्योंकि मेरा मानना है कि ऐसे लोग कभी ना कभी ऐसे मानवीय कार्यों मे एक बङा दान देकर सभी को चकित कर देंगे।
   तीन दशक पहले अग्रोहा धाम मे हरियाणा सरकार ने अनुदान बंद कर दिया तो सैंकड़ों शाखाओं को पत्र लिखा गया कि पांच पांच हजार रुपये भेजें लेकिन मैंने प्रयास किया। उनको एक लेख लिखकर भेजा।
  *रुपया केवल एक किंतु महत्व लाखों का*
  जिसमें लिखा गया कि उस समय तीन करोड़ अग्रवाल थे। यदि एक रुपया भेजें तो तीन करोड़ अपनी आयू के बराबर भेजें तो इतना ? कोई परिवार 100-200-500 अथवा अपने सामर्थ्य के अनुसार भेजें तो देखते देखते 500 करोड़ रुपये मिल जायेंगे‌। मेडिकल कॉलेज फिर चलेगा अन्य ईकाई भी। इस पत्र का काफी असर हुआ लोगों ने काफी सराहना की बहुत लोगों ने मनीआर्डर एवं डाक से भेजना शुरू किया।
   लेकिन अचानक एक उद्योग पति ने इतनी बड़ी राशि देने की घोषणा की चारों तरफ़ जय जय कार होने लगा।
  यह भी एक संयोग था कि हरियाणा मे सरकार बदल गयी अनुदान पुनः शुरू हो गया।
   संकल्प के साथ कोई नेक काम शुरू किया जाए तो असंभव नहीं है। मारवाड़ी सम्मेलन प्रांतीय एवं हर शाखा को एक राहत कोष बनाना चाहिए उसमें आने वाले धन का एक अथवा दो प्रतिशत राशि उस कोष मे डाल देनी चाहिए ताकि तत्काल सहायता दी जा सके।
   मदन सुमित्रा सिंघल
   पत्रकार एवं साहित्यकार
   शिलचर असम
   मो 9435073653

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