वर्ष शिलचर के चेंकुरी रोड निवासी प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुशास्त्र विशेषज्ञ डॉ. रत्नविजय भट्टाचार्य को तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें ज्योतिष और वास्तुशास्त्र के क्षेत्र में उनके बहुमूल्य योगदान और दशकों की साधना के लिए प्रदान किया गया।
डॉ. भट्टाचार्य ने बताया कि वे पिछले कई वर्षों से इस प्राचीन विद्या का अध्ययन और व्यवहार में उपयोग कर रहे हैं। उनके अनुसार, “ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विद्या है, जिसे सटीक ज्ञान और अनुभव से ही समझा जा सकता है। यह मनुष्य के जीवन के विविध पहलुओं की जानकारी दे सकता है, लेकिन इसकी भविष्यवाणियाँ हमेशा शत-प्रतिशत सही हों—ऐसा ज़रूरी नहीं।”
एक महत्वपूर्ण पहलू की ओर इशारा करते हुए डॉ. भट्टाचार्य ने कहा कि उन्होंने बिना रत्नों के, केवल प्राकृतिक वस्तुओं के माध्यम से ग्रह दोषों के सरल उपायों को विकसित किया है। उदाहरणस्वरूप, उन्होंने बताया, “मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए रोज़ सुबह एक लाल जवा (गुड़हल) के फूल को गर्म पानी में पाँच मिनट तक डुबोकर रखने के बाद वह जल पीने से लाभ होता है।” इसी प्रकार विभिन्न ग्रह दोषों के समाधान फूलों और घरेलू उपायों से संभव हैं, जिन्हें उन्होंने आम जनमानस के कल्याण के लिए विकसित किया है।
इस अवसर पर साथ में उपस्थित वास्तुशास्त्र विशेषज्ञ श्री गौतम चक्रवर्ती ने बताया कि वास्तुशास्त्र का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है, जिसकी जड़ें स्थापत्य वेद में मिलती हैं—जो चार उपवेदों में से एक है। उन्होंने कहा, “वास्तुशास्त्र निर्माण, प्रकृति और मनुष्य के बीच संतुलन स्थापित करने की विद्या है। यदि कोई व्यक्ति अपने घर या किसी निर्माण कार्य को वास्तुशास्त्र के अनुसार करता है, तो उसमें शांति और समृद्धि का वास होता है।”
डॉ. भट्टाचार्य और उनके सहयोगी वर्षों से इस विद्या को आम जनता के लिए सरल और सुलभ बनाने में जुटे हुए हैं, ताकि विशेष रूप से गरीब और वंचित वर्ग भी इन उपायों से लाभान्वित हो सके।





















