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बराक घाटी की शांति बनाए रखने की बीडीएफ ने की अपील, सांप्रदायिक सौहार्द को बताया घाटी की पहचान

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सिलचर: वक्फ संपत्ति विधेयक के संसद में पारित होने के बाद देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों की लहर बराक घाटी तक पहुँच चुकी है। कुछ जगहों पर पुलिस के साथ टकराव और पथराव की घटनाओं ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है। इस पृष्ठभूमि में बराक डेमोक्रेटिक फ्रंट (BDF) ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर जनता से शांति, अनुशासन और आपसी सौहार्द बनाए रखने की अपील की है।

BDF के मुख्य संयोजक प्रदीप दत्त राय ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि लोकतंत्र में असहमति जताना हर नागरिक का अधिकार है, लेकिन विरोध को हिंसा या अराजकता में बदलना दुर्भाग्यपूर्ण होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि कुछ सांप्रदायिक शक्तियाँ इस मौके का फायदा उठाकर दंगे भड़काने और राजनीतिक लाभ उठाने की फिराक में हैं, विशेषकर आगामी पंचायत चुनावों को देखते हुए।

दत्त राय ने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बराक घाटी को शांति का द्वीप कहा था। यहाँ विभिन्न धर्मों और भाषाई समूहों ने हमेशा मिल-जुलकर जीवन यापन किया है। बाबरी विध्वंस के समय जब पूरा देश तनाव में था, तब भी बराक घाटी में शांति बनी रही थी। यह हमारी परंपरा है और इसे हमें बचाकर रखना है।”

BDF मीडिया सेल के संयोजक जयदीप भट्टाचार्य ने वक्फ विधेयक को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संसद में इस विधेयक के विरोध में 40 मुस्लिम और 192 हिंदू सांसदों ने मतदान किया था। “ऐसे में यह कहना कि मुस्लिम समुदाय अकेले पड़ गया है, तथ्यहीन और भ्रामक है।”

उन्होंने आगे कहा कि मामला अब सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है और कुछ अंतरिम स्थगन आदेश पहले ही दिए जा चुके हैं। “हमें न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है, इसलिए भड़कावे में आने की कोई जरूरत नहीं है,” उन्होंने कहा।

भट्टाचार्य ने घाटी में बेरोजगारी को युवाओं की सबसे बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि “आज बराक घाटी में लगभग छह लाख पंजीकृत बेरोजगार हैं। इनमें से अधिकांश शिक्षित युवा ई-रिक्शा चला रहे हैं। अगर हजारों युवा संगठित होकर शांतिपूर्ण जुलूस के माध्यम से अपनी मांगें रखें, तो सरकार को उद्योग लगाने और 25,000 नई नौकरियाँ देने के लिए बाध्य किया जा सकता है।”

BDF के अनुसार, धार्मिक आयोजनों में युवाओं की भागीदारी स्वागतयोग्य है, लेकिन रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों पर भी उतना ही सजग होना जरूरी है। उन्होंने दोनों समुदायों के युवाओं से एकजुट होकर अपने भविष्य के लिए आवाज़ उठाने की अपील की।

BDF के अन्य संयोजक हृषिकेश डे ने प्रेस विज्ञप्ति के ज़रिए बताया कि संगठन लंबे समय से घाटी में रोजगार और उद्योगों की स्थापना के मुद्दे को प्रमुखता से उठा रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि BDF जनता की आवाज़ को लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ाता रहेगा।

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