शिलचर के वर्तमान सांसद और दो बार के मंत्री परिमल शुक्लवैद्य तथा क्षेत्रीय विधायक निहार कांति दास के निर्वाचन क्षेत्र धोलाई का एक बड़ा हिस्सा—भागा शेरखान रोड से सटे सीमावर्ती करकट गांव—आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। इस गांव में सैकड़ों परिवार पीने के पानी की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं।
गांव को जोड़ने वाला तीन किलोमीटर लंबा मुख्य सड़क मार्ग पूरी तरह जर्जर है। आए दिन सड़क हादसे होते रहते हैं और थोड़ी सी बारिश होते ही संपर्क पूरी तरह कट जाता है।

राज्य सरकार एक ओर जहां शिक्षा व्यवस्था की सफलता के गीत गा रही है, वहीं इस गांव के बच्चों को पास के मिजोरम राज्य में पढ़ाई करनी पड़ रही है, क्योंकि उनके अपने गांव में विद्यालय की व्यवस्था ही नहीं है।
सरकारी आवास योजनाएं और विकास परियोजनाएं भी यहां के लोगों तक नहीं पहुंच पाई हैं। करकट गांव के निवासी खुद को पूरी तरह उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और सरकार से मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की मांग कर रहे हैं।
सवाल यह है—क्या सीमावर्ती इलाकों की ये आवाज़ कभी सत्ता के गलियारों तक पहुंचेगी?




















