रामकृष्णनगर, 26 अप्रैल।कुछ लोग जन्म से ही समाज के लिए होते हैं — रीना कानू उन्हीं में से एक नाम है। चरगोला ग्राम पंचायत की वह एक ऐसी महिला हैं, जिनकी पहचान किसी पद से नहीं, बल्कि सेवा भाव से होती है। बचपन से ही उन्होंने एक संकल्प लिया था — “जब तक जीवन है, तब तक सेवा का रास्ता नहीं छोड़ूंगी।”
रीना कानू ने अपने इस व्रत को केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्म में बदल कर दिखाया है। चरगोला बागान क्षेत्र की महिलाओं की छोटी-बड़ी हर समस्या में वे एक सच्चे मार्गदर्शक और सहारा बनकर सामने आई हैं। कभी किसी की बीमारी में मददगार बनीं, तो कभी शिक्षा और अधिकार के लिए आवाज़ उठाई। उनका जीवन एक जीवंत उदाहरण है कि सच्ची नेतृत्व शक्ति पद से नहीं, सेवा से आती है।
इस बार रीना कानू चरगोला ग्राम पंचायत के वार्ड नंबर-2 से सदस्य पद के लिए चुनाव मैदान में उतरी हैं। यह उनके लिए कोई सत्ता की दौड़ नहीं, बल्कि एक अवसर है—अपने लोगों के और करीब आने का।
नामांकन भरने के बाद से रीना हर घर तक पहुंच रही हैं, नारा नहीं दे रहीं, भरोसा बाँट रही हैं। वे कहती हैं, “मैं यहाँ नेता बनने नहीं, बेटी-बहन बनकर सेवा करने आई हूँ। हर दरवाज़ा मेरा अपना है और हर समस्या मेरी ज़िम्मेदारी।”
जनता की प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि रीना कानू केवल एक उम्मीदवार नहीं, बल्कि उम्मीद की एक किरण हैं। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि “रीना दीदी का नाम सुनते ही भरोसा जागता है, और उनके काम देखकर गर्व होता है।”
रीना कानू की यह यात्रा राजनीति की नहीं, परिवर्तन की है। अब पूरा वार्ड यही कह रहा है — “इस बार नहीं रीना दीदी, तो फिर कब?”





















