किशन माला शिलचर, 26 अप्रैल:
एनआईटी शिलचर इस सप्ताह ‘छोटा भारत’ बन गया जब छात्रों ने विविध संस्कृतियों का भव्य उत्सव ‘एक्यतन’ के तहत मनाया। चूंकि नववर्ष के विभिन्न अवसरों पर अधिकांश छात्र घर नहीं लौट सकते, इसलिए हर जातीय समूह ने मिलकर अपनी संस्कृति और परंपराओं को एक मंच पर प्रस्तुत किया।
भारत विविधताओं का देश है — कश्मीर से कन्याकुमारी और अरुणाचल से गुजरात तक भाषा, पहनावा और खानपान में भिन्नता होते हुए भी हम सब एक सूत्र में बंधे हैं। भारत में नववर्ष विभिन्न समय और नामों से मनाया जाता है — पंजाब में बैसाखी, असम में रंगाली बिहू, तमिलनाडु में पुथांडु, केरल में विशु, ओडिशा में बिशुब संक्रांति और बंगाल में ‘पोयला बैसाख’।
एनआईटी शिलचर के ‘एक्यतन’ कार्यक्रम ने इसी एकता का शानदार प्रदर्शन किया। पांचवें संस्करण में सैकड़ों छात्रों ने भाग लिया। पारंपरिक परिधानों में सजे छात्र-छात्राओं ने भव्य सांस्कृतिक जुलूस निकाला। बंगाली छात्रों ने धोती-पंजाबी और साड़ी में अपनी सांस्कृतिक पहचान पेश की। असमिया छात्रों ने बिहू नृत्य से रंग जमाया, तो दक्षिण भारतीय छात्रों ने अपनी परंपरागत वेशभूषा और नृत्य प्रस्तुत किए। ढोल की थाप और धुनुची नृत्य की लय ने पूरे माहौल को उल्लासमय बना दिया।
कार्यक्रम के दौरान एनआईटी शिलचर के निदेशक प्रोफेसर दिलीप कुमार वैद्य ने कहा,
“‘एक्यतन’ केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि एक साझा मंच है जहाँ विभिन्न संस्कृतियाँ मिलती हैं और एक-दूसरे का सम्मान करती हैं। उच्च शिक्षा के साथ-साथ छात्रों में सांस्कृतिक समझ और आपसी सद्भाव को बढ़ावा देना हमारा उद्देश्य है। चूँकि विभिन्न राज्यों के नववर्ष एक ही समय पर नहीं आते, और छुट्टियाँ भी उपलब्ध नहीं होतीं, इसलिए हम एक दिन चुनकर सभी समुदायों का संयुक्त उत्सव मनाते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि बराक घाटी का बंगाली आंदोलन और उसकी सांस्कृतिक विरासत इस क्षेत्र को विशिष्ट बनाती है, और छात्रों में अपनी संस्कृति को गर्व से प्रदर्शित करने का विशेष उत्साह दिखाई देता है।
कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों और छात्रों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का भरपूर आनंद लिया। ‘एक्यतन’ ने वास्तव में एनआईटी सिलचर को एक दिन के लिए भारत के विविध रंगों में रंग दिया।





















