राजू दास की विशेष रिपोर्ट, शिलचर, 2 मई 2025: शिलचर के मेहरपुर इलाके में हाल ही में एक अनोखे विरोध प्रदर्शन की तस्वीर सामने आई है। टूटी-फूटी सड़क पर पेड़ की टहनियों, बांस और कचरे के ढेर के साथ एक लौकी को गले में रस्सी डालकर लटकाया गया है। उसके पास एक राजनीतिक दल का झंडा भी बंधा हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई मज़ाक नहीं, बल्कि एक तीव्र सामाजिक विरोध है—जहां ‘आत्महत्या’ कर ली है एक लौकी ने!
यह घटना एक ऐसी सड़क पर घटी है, जो केवल मेहरपुर या शिलचर की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा नहीं है—बल्कि यही सड़क शिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, असम विश्वविद्यालय, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) सहित कई अहम स्वास्थ्य और शिक्षा संस्थानों को सीधे शहर से जोड़ती है।
फिर भी यह सड़क सालों से उपेक्षित पड़ी है। गड्ढों से भरी, बरसात में कीचड़ और जलभराव से त्रस्त, और सूखे मौसम में धूल से ढँकी रहती है। ऐम्बुलेंस, स्कूल बस, कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राएं, और ऑफिस जाने वाले लोग—हर दिन हजारों लोग इस जर्जर सड़क से गुजरते हैं। लेकिन संबंधित प्रशासन या जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हमने बार-बार गुहार लगाई, पर कोई मरम्मत नहीं हुई। इसलिए हमें इस प्रतीकात्मक विरोध का सहारा लेना पड़ा। हमने एक लौकी को फांसी पर लटकाया, ताकि सरकार समझ सके—हमारी हालत ऐसी हो गई है, जैसे सड़क ने खुद आत्महत्या कर ली हो।”
यह घटना न केवल सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है, बल्कि शहर की गलियों में भी चर्चा का विषय बन चुकी है। कई लोग कह रहे हैं कि सिर्फ़ नेताओं की तस्वीरें लगाकर विकास का प्रचार करने से काम नहीं चलता—असल विकास सड़कों की स्थिति से पता चलता है।
प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर जल्द ही सड़क की मरम्मत नहीं की गई, तो वे भविष्य में और बड़े आंदोलन की ओर बढ़ेंगे।





















