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रितेश नुनिया, एनआईटी शिलचर 18 जून: अपराह्न 1:00 बजे से सुबह 5:00 बजे तक का झाड़ में कर्फ्यू लागू है, बिना पर्याप्त कारण के कोई घर से बाहर नहीं निकल सकता। ऐसे में 15- 16 डकैतों का दल 17 जून की मध्य रात्रि में एनआईटी संलग्न बाबू टीला में प्रदीप नुनिया का दरवाजा तोड़कर घर में घुस गया और बंदूक की नोक पर लाखों रुपए की लूट करके वापस सुरक्षित चला गया। गृह स्वामी प्रदीप नुनिया ने बताया कि डकैतों का दल जो कभी हिंदी तो कभी भोजपुरी में बात कर रहा था, उनके घर में घुसा और उन्हें टार्च से मारा। डकैत दल ने फिल्मी स्टाइल में दो बच्चों को बंदूक पर कवर करके धमकी दिया की यदि उनका विरोध करेंगे तो बच्चों को लेकर चले जाएंगे। इसलिए हम लोगों ने सरेंडर कर दिया। डकैतों ने पूरा घर छान मारा, सभी सामान उलट-पुलट कर दिया। अलमारी, ट्रंक, ड्रायर कुछ भी नहीं छोड़ा। महिलाओं के शरीर से गहने तक उतरवा लिए। मोबाइल छीन लिया ताकि संपर्क न कर सके। नगद ₹85000 और चार-पांच लाख रुपए का स्वर्ण अलंकार लूट कर ले गए। जाते जाते सभी को घर के भीतर बंद करके चले गए, मोबाइल उन लोगों ने घर के बाहर फेंक दिया था।
सुबह 4:00 बजे उन्होंने हल्ला मचाया तो लोगों ने आकर दरवाजा खोला। पेशे से ठेकेदार प्रदीप नोनिया के घर में दो भाई, 3 महिलाओं समेत परिवार में 10 लोग हैं। खबर मिलते ही स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता सुवचन ग्वाला, जिला परिषद सदस्य मानव सिंह और निर्मल कुर्मी आदि पहुंच गए। पुलिस को सूचना मिलते ही दल बल के साथ सदर थाना प्रभारी दीतू मनी गोस्वामी और घुंघुर चौकी इंचार्ज चंदन बोरा भी पहुंच गए। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और जनता को भरोसा दिलाया कि यहां वीडीपी का गठन किया जाएगा, रात में पहरा दिया जाएगा। पुलिस भी बीच-बीच में गश्त करेगी। कर्फ्यू के बीच इस प्रकार डकैती से गांव वासियों में दहशत है। लोगों में चर्चा थी कि एक तरफ एन आई टी की सिक्योरिटी है, दूसरी ओर कर्फ्यू है, आखिर 15 16 डकैतों का दल बाबू टीला में कैसे पहुंचा? केवल पहुंचा ही नहीं डकैती करके सुरक्षित वापस भी चला गया। एक तरफ आम आदमी घर से नहीं निकल सकता है, दूसरी ओर डकैतों के लिए सुरक्षित रास्ता कैसे मिल गया? जितने मुंह उतनी बात है। अब देखना यह है कि शिलचर और आसपास में लगातार घट रहे अपराधिक घटनाओं पर पुलिस कब तक लगाम लगाती है?