काछार (असम)। सात साल पहले मानसिक रूप से अस्वस्थ होकर लापता हुए गोविंदपुर (काछार) निवासी टिपू सुल्तान आखिरकार गुरुवार को अपने वतन लौट आए। टिपू की घर वापसी ने उनके परिवार में खुशियों की लहर दौड़ा दी। भाई बदरुल हक लश्कर और अन्य परिजनों ने काठीघोड़ा थाने में भावुक माहौल में उन्हें गले लगाकर स्वागत किया। इस खुशी के मौके पर परिजनों ने सभी उपस्थित लोगों को मिठाई खिलाई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मानसिक बीमारी के चलते टिपू सुल्तान सात साल पहले अपने घर से अचानक लापता हो गए थे। भटकते-भटकते वे अनजाने में भारत-बांग्लादेश सीमा पार कर गए और फिर वहीं रहने लगे। काफी खोजबीन के बाद भी जब टिपू का कोई सुराग नहीं मिला, तो उनके परिजनों ने असम पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
कुछ समय बाद एक सूत्र के माध्यम से परिवार को जानकारी मिली कि टिपू सुल्तान बांग्लादेश में हैं। इसके बाद पिछले एक वर्ष से उन्हें भारत वापस लाने के प्रयास शुरू हुए। भारत और बांग्लादेश के प्रशासनिक स्तर पर कई दौर की बातचीत के बाद आखिरकार गुरुवार को बांग्लादेश सरकार ने टिपू सुल्तान को औपचारिक रूप से सुतारकांडी सीमा चौकी के माध्यम से भारत भेज दिया।
सीमा पर बीएसएफ और काठीघोड़ा पुलिस ने उन्हें अपने संरक्षण में लिया और फिर उन्हें उनके परिवार से मिलवाया।
इस संबंध में सीमा पुलिस के प्रभारी सब-इंस्पेक्टर अजमल हुसैन लश्कर ने विस्तृत जानकारी दी।
सात साल बाद घर लौटे टिपू सुल्तान की कहानी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि उम्मीद कभी नहीं छोड़नी चाहिए।




















