संवाददाता: हीरक बनिक, रामकृष्णनगर, 10 मई: हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बराक बंग साहित्य एवं संस्कृति सम्मेलन की रामकृष्णनगर शाखा द्वारा 25 बैशाख, यानी 165वीं रवींद्र जयंती, अत्यंत श्रद्धा और गरिमा के साथ मनाई गई। कार्यक्रम का आयोजन रामकृष्णनगर महाविद्यालय के समक्ष स्थित गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की प्रतिमा स्थल पर किया गया।
इस अवसर पर गुरुदेव की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस श्रद्धांजलि समारोह में प्रमुख रूप से उपस्थित थे सम्मेलन की क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. माला शर्मा, सचिव हिमांशु शेखर देवराय, पूर्व सचिव कृष्ण चौधुरी, साहित्य संपादिका मन्दिरा देवराय, सदस्य मल्लया चक्रवर्ती, पूर्व शिक्षक मृणाल दास, कनक चौधुरी, विवेकानंद रिसर्च फाउंडेशन रामकृष्णनगर शाखा के अध्यक्ष विशाल नाथ, महासचिव संदीपन देव, महिला एवं बाल कल्याण संयोजक तापसी देव, संचार प्रभारी देवजीत नाथ तथा युवा प्रतिनिधि युवराज दास सहित कई स्थानीय सांस्कृतिक कलाकार।
सभा का आरंभ स्वागत भाषण के साथ सचिव हिमांशु शेखर देवराय ने किया। अध्यक्ष डॉ. माला शर्मा ने अपने संबोधन में कहा, “25 बैशाख हमारे लिए केवल एक दिन नहीं, बल्कि मानवता के एक महान प्रकाशस्तंभ रवींद्रनाथ ठाकुर की जन्मतिथि है। उनकी कविताएं, दर्शन और जीवन मूल्य आज भी हमारे लिए मार्गदर्शक हैं।”
पूर्व सचिव कृष्ण चौधुरी ने गुरुदेव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भावभीने शब्दों में कहा, “रवींद्रनाथ एक महासागर हैं, जिन्हें कोई माप नहीं सकता। हम हर साल इस दिन की प्रतीक्षा करते हैं, ताकि उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकें।” उन्होंने भारत-पाक युद्ध में ऑपरेशन सिन्दूरे के दौरान महिला सैनिकों की वीरता का उल्लेख करते हुए, करुणा और शक्ति के इस संगम को गुरुदेव की प्रेरणा से जोड़ कर देखा।
कार्यक्रम में साहित्य संपादिका मन्दिरा देवराय ने एक भावपूर्ण कविता का पाठ किया। वहीं, विवेकानंद रिसर्च फाउंडेशन की ओर से भी गुरुदेव को माल्यार्पण किया गया। स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत मधुर रवींद्र संगीत ने वातावरण को और भी भावविभोर कर दिया।
इससे पूर्व, रामकृष्णनगर संयुक्त सांस्कृतिक मंच की ओर से भी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस दौरान मंच के अध्यक्ष मृगांक दत्ता चौधुरी, रामकृष्ण विद्यापीठ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य विश्वजीत नाथ, संस्था के अन्य पदाधिकारी और आईडियल होम इंग्लिश मीडियम स्कूल के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। संपूर्ण आयोजन ने यह स्पष्ट किया कि गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर न केवल बंगाल के बल्कि समूचे विश्व के सांस्कृतिक चेतना के प्रेरणा स्रोत हैं।




















