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तुम देखोगे, हम देख चुके हैं।

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हम देख चुके हैं बर्बादी, हम देख चुके हैं बगदादी।
हम देख चुके शाहीन बाग़, और टुकड़े वाली आज़ादी।।
हम देख चुके हैं बामियान, हम देख चुके मज़हब गंदा।
देखा है जौहर पद्मा का, देखा है जलता नालंदा।।
हम देख चुके हैं खिलजी को, हम देख चुके हैं अब्दाली।
हम देख चुके तैमूर लंग, हम देख चुके नोआखाली।।
हम देख चुके औरंगजेब, हमने देखा है अकबर भी।
सत्रह बार जो भाग गया, देखा गौरी का लश्कर भी।।
देखा कटते नरमुंडों को, देखा जेहादी गुंडों को।
कुत्तों जैसे लड़ते मरते, देखा सुअरों के झुंडों को।।
देखा तदबीरी नारों को, देखा है अत्याचारों को।
हम भुगत चुके भाईचारा, हम देख चुके हत्यारों को।।
देखे कश्मीरी पंडित भी, देखे हैं मंदिर खंडित भी।
भारत के टुकड़े देख चुके, देखे हैं हिन्दू दंडित भी।।
देखी है भीड़ उन्मादी भी, दुनिया भर की बरबादी भी।
हम जला गोधरा देख चुके, हम देख चुके जेहादी भी।।
हम देख चुके हैं वहशत को, हम देख चुके हैं दहशत को।
दुनिया है जिसको झेल रही, हम देख चुके हैं शरीयत को।।
मंदिर में घण्टे गूँजेंगे, जब शंखनाद घर घर होगा।
ईंटों के बदले अपना भी, जब पत्थर से उत्तर होगा।।
जब हम मानवता छोड़ेंगे, सबको आपस में जोड़ेंगे।
कोई एक गाल पे मारेगा तो दोनों बाजू तोड़ेंगे।।
जब अपना स्वार्थ बिसारेगा, जब अपना धर्म पुकारेगा।
हारेगा हर इक जेहादी, जब बढ़कर हिन्दू मारेगा।।
अब ज्यादा नहीं विचारेंगे, मिलकर श्री राम पुकारेंगे।
छुपे हुए सब गद्दारों को, हम पटक पटक कर मारेंगे।।
जब हम अपनी पर आयेंगे, तब दुनियाँ पर छा जायेंगे।
अब गली मुहल्लों की छोड़ो, हर घर भगवा लहरायेंगे।।
__________________©®समीक्षा सिंह
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