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आरएसएस के संघ शिक्षा वर्ग का समापन श्रीगौरी माधवधाम में सम्पन्न

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दक्षिण असम प्रांत के 12 जिलों के 67 स्वयंसेवकों ने लिया भाग

श्रीगौरी स्थित माधवधाम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), दक्षिण असम प्रांत द्वारा आयोजित प्रथम वर्ष सामान्य एवं विशेष संघ शिक्षा वर्ग का समापन समारोह रविवार को सायं सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत हुई स्वागत प्रणाम, ध्वजारोहण और प्रार्थना के साथ। इसके पश्चात शिक्षार्थियों ने प्रभावशाली शारीरिक प्रदर्शन प्रस्तुत किया।

समापन सत्र में वर्ग कार्यवाह सूरजित थाउसिन ने परिचय और धन्यवाद ज्ञापन किया, जबकि वर्ग के सर्वाधिकारी  लालमोहन नाथ ने वर्ग का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

यह वर्ग 3 मई की संध्या 6:45 बजे, भारत माता की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ आरंभ हुआ था। उद्घाटन कार्यक्रम में संघ के दक्षिण असम प्रांत संघचालक श्रद्धेय ज्योत्स्नामय चक्रवर्ती, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य उल्लास कुलकर्णी, सर्वाधिकारी लालमोहन नाथ और कार्यवाह सूरजित थाउसिन उपस्थित थे।

संघ शिक्षा वर्ग का उद्देश्य है योग्य, अनुशासित व प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं का निर्माण जो संगठन के कार्यों को समाज में प्रभावी ढंग से आगे बढ़ा सकें। यह वर्ग बराक घाटी, दीमा हसाओ और मिजोरम सहित दक्षिण असम प्रांत के अंतर्गत 12 जिलों के 52 स्थानों से आए कुल 67 स्वयंसेवकों की सहभागिता में आयोजित हुआ। प्रतिभागियों में माध्यमिक से लेकर स्नातकोत्तर विद्यार्थी, व्यापारी, एवं नौकरीपेशा स्वयंसेवक सम्मिलित थे। वे विभिन्न भाषाओं – बांग्ला, नेपाली, हिंदी, चाय जनजाति, डिमासा, रियांग व मणिपुरी – के प्रतिनिधि थे।

इस वर्ग के संचालन हेतु 12 प्रशिक्षक और 12 विभाग प्रमुख नियुक्त किए गए, जो सभी अनुभवी स्वयंसेवक, प्रचारक एवं विस्तारक थे। प्रतिदिन सुबह 4 बजे से रात्रि 9:45 तक अनुशासित रूप से शारीरिक एवं बौद्धिक प्रशिक्षण आयोजित होता रहा। प्रत्येक दिन का शुभारंभ ‘एकात्मता स्तोत्र’ एवं भारत माता की वंदना से होता था।

शारीरिक प्रशिक्षण में दंड, नि:शस्त्र युद्ध, दंड युद्ध, यष्टि, पद विन्यास, समूह समता, योगासन, व्यायाम योग, खेलकूद और घोष (संघ वाद्ययंत्र) आदि शामिल रहे। बौद्धिक प्रशिक्षण में समाचार सत्र, चर्चा, अभ्यास, बौद्धिक संवाद एवं रात्रिकालीन मनन-चिंतन प्रमुख रहे।

वर्ग के दौरान संघ के केंद्रीय, क्षेत्रीय व प्रांतीय स्तर के कुल 23 वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही। उन्होंने प्रशिक्षुओं का मार्गदर्शन करते हुए विविध गतिविधियों में सक्रिय सहभागिता दी।

समारोह के मुख्य अतिथि शिलचर पॉलिटेक्निक के प्राचार्य डॉ. संजीव सिंह ने कहा, “संघ के कार्य आज समाज के हर स्तर पर प्रभाव छोड़ रहे हैं — शिक्षा, चरित्र निर्माण और समाज सुधार में इसकी भूमिका अनुकरणीय है। संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है जो राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।”

मुख्य वक्ता, संघ के असम क्षेत्र प्रचारक श्री बशिष्ठ बुजरबरुआ ने कहा, “भारत केवल भूमि नहीं, बल्कि पुण्यभूमि, कर्मभूमि और धर्मभूमि है। हमें अपनी संस्कृति और मूल्यपरक जीवनशैली को अपनाकर राष्ट्रहित में कार्य करना चाहिए। स्वयंसेवक भारतीय संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।” उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, आदर्श हिन्दू परिवार, सामाजिक समरसता, स्वदेशी उत्पादों का उपयोग, प्लास्टिक मुक्त जीवन और नागरिक शिष्टाचार जैसे विषयों पर संकल्प लेने का आह्वान किया।

बौद्धिक कार्यक्रम के दौरान तेज वर्षा होने के बावजूद स्वयंसेवक एक स्थान पर अनुशासन के साथ डटे रहे, जिससे उपस्थित अतिथियों को उनके चरित्र और समर्पण का परिचय मिला।

समापन समारोह में संघ के विभिन्न विभागों के कार्यकर्ता, भातृ संगठनों के पदाधिकारी, स्वयंसेवक और समाज के विभिन्न वर्गों के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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