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शिलचर: गांधी बाग में मातृभाषा आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि, जनसैलाब बना साक्षी

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शिलचर, 19 मई: 1961 में मातृभाषा बांग्ला के अधिकार की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले 11 भाषा शहीदों की स्मृति में सोमवार को शिलचर के ऐतिहासिक गांधी बाग में एक भव्य श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई। यह आयोजन न केवल एक भावुक स्मरण बनकर उभरा, बल्कि भाषा और सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा के लिए समाज की प्रतिबद्धता को फिर से रेखांकित कर गया।

इस अवसर पर हजारों नागरिकों, सामाजिक संस्थाओं, सांस्कृतिक संगठनों, छात्र-छात्राओं और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति ने इस दिन को अत्यंत गौरवपूर्ण बना दिया। कार्यक्रम में फूल अर्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में शामिल थे: जिला बार एसोसिएशन, जिला क्रीड़ा संघ, सम्मिलित सांस्कृतिक मंच, शिलचर प्रेस क्लब, जननी, आर्ट एंड क्राफ्ट सोसाइटी, बराक बंग, पब्लिक कल्चरल यूनिट, रूपम, लायन्स क्लब, रोटरी क्लब, मातृभाषा सुरक्षा समिति, सरकारी पेंशनभोगी संघ, साउथ पॉइंट हाई स्कूल, नंदिनी साहित्य चर्चा केंद्र, असम माध्यमिक शिक्षक-कर्मचारी संगठन तथा असम उच्च माध्यमिक शिक्षक-कर्मचारी संगठन।

इसके अतिरिक्त इनर व्हील क्लब, यास, लायंस क्लब ऑफ शिलचर वैली व्यू, ১৯ মে आयोजन समिति, मातृभाषा रक्षण संघर्ष समिति, क्लब अनन्या, अमरा बंगाली, छंदेर श्रुत, सृष्टि आदि संस्थाओं ने भी भाग लेकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित थे – कछार जिले के उपायुक्त मृदुल यादव, शिलचर के सांसद परिमल शुक्लबैद्य, विधायक दीपायन चक्रवर्ती (शिलचर), विधायक निहार रंजन दास (ढोलाई), भाजपा कछार जिला अध्यक्ष रूपम साहा, कांग्रेस कछार जिला अध्यक्ष अभिजीत पाल, कवि और लेखक डॉ. तपोधीर भट्टाचार्य, लोकसंस्कृति शोधकर्ता डॉ. अमলেন्दु भट्टाचार्य, दैनिक ‘युगशंख’ समूह के चेयरमैन विजय कृष्ण नाथ, कवि शतदल आचार्य, अधिवक्ता अजय राय, सांस्कृतिक आयोजक निखिल पाल और अजय चक्रवर्ती, समाजसेवी साधन पुरकायस्थ, खिलाड़ी बाबुल होड़, साहित्यकार दीपक सेनगुप्ता, अधिवक्ता शांतनु नायक, समाजसेवी स्वर्णाली चौधुरी, ‘सृजनी’ पत्रिका की मृदुला भट्टाचार्य, संगीतकार विश्वजीत राय चौधुरी, समाजसेविका पल्लवीता शर्मा एवं सौमित्र दत्ता राय, नाट्यकर्मी शेखर देवराय और सायन विश्वास तथा प्राणब पाल चौधुरी।

विशेष प्रस्तुति में ख्यातिप्राप्त गायक देबजीत साहा समेत अन्य कलाकारों ने भावपूर्ण संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत कर माहौल को और भी मार्मिक बना दिया। इस ऐतिहासिक दिन की गरिमा बढ़ाने वालों में ‘बराक की आवाज’, एआईडीएसओ, एआईडीवाईओ, और अन्य नागरिक समाज के प्रतिनिधि तथा विशिष्ट व्यक्तित्व जैसे – मिता दास पुरकायस्थ, झूमुर पांडे और दुलाली गांगुली का योगदान भी उल्लेखनीय रहा।

अन्य उपस्थित गणमान्य नागरिकों में थे – मुलचंद बैद, तैमूर राजा चौधुरी, पार्थ रंजन चक्रवर्ती, राजकुमार पाल, शांतनु सेनगुप्ता, भास्कर दास, मृदुल मजूमदार, सुजन दत्ता, अमिताभ राय और अनेकों छात्र-छात्राएँ व नगरवासी।

गांधी बाग, जो भाषा आंदोलन का ऐतिहासिक केंद्र रहा है, एक बार फिर 1961 के बलिदान की मर्मस्पर्शी यादों से गूंज उठा। यह आयोजन मातृभाषा की रक्षा के लिए समाज के अटूट संकल्प का प्रतीक बन गया।

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