फॉलो करें

“मुलुक चलो” आंदोलन की 104वीं वर्षगांठ पर बराक चाय श्रमिक यूनियन द्वारा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

231 Views
21 मई , शिलचर- 21 मई 2025 को बराक चाय श्रमिक यूनियन के तत्वावधान में यूनियन कार्यालय में “चरगोला एक्सोडस” (चरगोला निष्कासन) की 104वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम “मुलुक चलो” आंदोलन की स्मृति में आयोजित किया गया था, जिसमें उस ऐतिहासिक जनआंदोलन के दौरान शहीद हुए चाय श्रमिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष श्री अजीत सिंह ने की। सभा में यूनियन के वरिष्ठ सलाहकार संतोष रंजन चक्रवर्ती, उपाध्यक्ष शिव पुजन रविदास, राधेश्याम कोइरी, महासचिव राजदीप ग्वाला, सह-सचिव सनातन मिश्र, रवि नुनिया, खीरोद कर्मकार, बाबुल नारायण कानू, संपादक सुरेश बड़ाइक, कार्यालय सचिव गिरिजा मोहन ग्वाला, सह-संपादक दुर्गेश कुर्मी सहित यूनियन की कार्यकारिणी समिति के सदस्य, आमंत्रित अतिथि, आयोजकगण और विभिन्न स्तरों के चाय श्रमिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

सभा की शुरुआत कार्यकारी अध्यक्ष अजीत सिंह द्वारा स्वागत भाषण से हुई, जबकि कार्यक्रम के उद्देश्य को स्पष्ट किया यूनियन के वरिष्ठ सलाहकार संतोष रंजन चक्रवर्ती ने।

विशिष्ट अतिथि वक्ताओं में शामिल थे – सामाजिक कार्यकर्ता विवेकानंद महंत, शिलचर महिला कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुजीत तिवारी और नेहरू कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मेघमाला डे महंत।

सभा के प्रारंभ में सभी आमंत्रित वक्ताओं का पारंपरिक उत्तरीय ओढ़ाकर सम्मान किया गया। अपने संबोधनों में वक्ताओं ने “चरगोला निष्कासन” की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, तत्कालीन चाय श्रमिकों पर हुए अत्याचार, करीमगंज रेलवे स्टेशन व चांदपुर के श्रमिक निष्कासन की घटनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।

इस अवसर पर उत्तर करीमगंज के विधायक श्री कमलाक्ष दे पुरकायस्थ भी उपस्थित थे। उन्होंने “चरगोला एक्सोडस” के दौरान निर्दोष चाय श्रमिकों के साथ हुए अमानवीय व्यवहार पर गहरा दुख व्यक्त किया और आश्वासन दिया कि आगामी सितंबर माह में विधानसभा सत्र के दौरान वे बराक घाटी के चाय श्रमिकों की समस्याओं को जोरदार तरीके से उठाएंगे।

महासचिव राजदीप ग्वाला ने अपने वक्तव्य में आंदोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ब्रिटिश शासन के अत्याचारों, शोषण और अमानवीय व्यवहार से त्रस्त होकर चाय श्रमिकों ने बागानों की सीमाएं तोड़कर अपने मूल स्थान “मुलुक” लौटने का संकल्प लिया था। यह आंदोलन एकता, आत्मसम्मान और संघर्ष की प्रतीक है, जिससे आज की पीढ़ी को सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए उसी एकता की आवश्यकता है।

इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और चाय श्रमिक यूनियन के संस्थापक बद्रीनाथ सोनार द्वारा रचित एवं सुरेश चंद्र द्विवेदी द्वारा अनूदित पुस्तक “बराक घाटी के श्रमिक संगठनों का इतिहास” का लोकार्पण भी किया गया।

कार्यक्रम का समापन संगठन की मजबूती और श्रमिकों के हक के लिए संघर्ष के संकल्प के साथ किया गया।

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल