पंजाब नेशनल बैंक द्वारा संचालित पीएनबी आरसेटी, कछार, शिलचर में दस दिवसीय आवासीय मत्स्य उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यशाला का सफल समापन बुधवार को डीआरडीए भवन, पीडब्ल्यूडी रोड, शिलचर में हुआ। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम केंद्र और राज्य सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत आरसेटी परियोजना के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य कौशल विकास, स्वरोजगार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करना था।इस कार्यशाला में कछार और हैलाकांडी जिले के कुल 31 प्रगतिशील मछली पालन उद्यमियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण में पिसीकल्चर, इनलैंड फिशरी और बायोफ्लॉक मत्स्य पालन जैसे विषयों को शामिल किया गया था, जिससे बेरोजगार युवाओं को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में सशक्त किया जा सके।समापन समारोह में प्रमुख अतिथि के रूप में मत्स्य विभाग, कछार के एसडीओ श्री बिराज शर्मा, पीएनबी आरसेटी कछार के निदेशक श्री जगज्योति भट्टाचार्य, पूर्व मत्स्य अधिकारी श्री बिकाश कांति नाथ, सेवानिवृत्त बैंक कर्मचारी श्री प्रदीप पाल, सीनियर फैकल्टी एवं कोर्स कोऑर्डिनेटर श्री शाहेद चौधुरी, प्रशिक्षण सहायक श्रीमती जॉयमति दास और श्रीमती रिम्पा सेन उपस्थित रहे।प्रशिक्षण में डोमेन स्किल ट्रेनर के रूप में श्री बिराज शर्मा तथा ईडीपी प्रशिक्षण श्री जगज्योति भट्टाचार्य और श्री शाहेद चौधुरी द्वारा दिया गया। प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं ने आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए इसे जीवन बदलने वाला अनुभव बताया।अपने संबोधन में एसडीओ श्री बिराज शर्मा ने कहा कि इस प्रशिक्षण से प्रशिक्षित मत्स्य उद्यमी आने वाले समय में नीली क्रांति के युवा सिपाही बनेंगे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि मत्स्य विभाग की ओर से हर संभव सहयोग दिया जाएगा। श्री बिकाश कांति नाथ ने युवाओं से प्रशिक्षण में प्राप्त प्रेरणा को कार्यरूप देने की अपील की।पीएनबी आरसेटी कछार के निदेशक श्री भट्टाचार्य ने कहा कि आरसेटी अल्पकालिक प्रशिक्षण के साथ दीर्घकालिक सहयोग भी देता है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे रोजगार चाहने वाले नहीं बल्कि रोजगार देने वाले बनें। श्री शाहेद चौधुरी ने बताया कि पहले स्नातक होने के बाद यदि कोई युवा उद्यमी बनता था तो लोग उसे संदेह की नजर से देखते थे, लेकिन आज परिस्थितियां बदल चुकी हैं और हर स्तर पर सहयोग मिल रहा है। आरसेटी कछार अगले दो वर्षों तक प्रशिक्षुओं को मार्गदर्शन प्रदान करेगा, साथ ही ईडीपी सर्टिफिकेट के माध्यम से वे पीएमईजीपी योजना के तहत सब्सिडी ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं।प्रशिक्षण के दौरान युवाओं को कम लागत में मछली आहार निर्माण, फिश प्रोसेसिंग किओस्क, बायोफ्लॉक, इनलैंड फिशरी प्रबंधन, सजावटी मछली पालन, विपणन रणनीति, परियोजना रिपोर्ट निर्माण, एफपीसी स्थापना, बिज़नेस रजिस्ट्रेशन, सरकारी ऋण एवं बीमा योजनाएं जैसे अनेक विषयों पर व्यावहारिक जानकारी दी गई।अतिथियों ने कहा कि “माछ-भाते বাঙালি” की परंपरा के अनुरूप मत्स्य पालन आज एक सम्मानजनक और लाभकारी व्यवसाय बन चुका है, जो आर्थिक आत्मनिर्भरता और पोषण सुरक्षा दोनों प्रदान करता है।
संलग्न फोटो:- जगज्योति भट्टाचार्य, बिराज शर्मा, शाहेद चौधुरी एवं अन्य अतिथि व प्रशिक्षु एक फ्रेम में। शिलचर।





















