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नराकास शिलचर की 64वीं बैठक सम्पन्न: अनुपस्थित कार्यालयों की सदस्यता समाप्त की चेतावनी

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शिलचर, 23 मई (विशेष प्रतिनिधि): राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), शिलचर के अतिथि शाला में आज क्षेत्रीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास) शिलचर की 64वीं छमाही बैठक का आयोजन हुआ। बैठक की अध्यक्षता एनआईटी शिलचर के निदेशक एवं नराकास चेयरमैन प्रो. दिलीप कुमार वैद्य ने की, जबकि प्रमुख वक्ता के रूप में क्षेत्रीय राजभाषा विभाग के उपनिदेशक श्री राजीव कुमार नायक उपस्थित थे।
उपनिदेशक श्री नायक ने अपने संबोधन में स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो सदस्य कार्यालय लगातार बैठकों में अनुपस्थित रहते हैं, उनकी नराकास सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि संसदीय राजभाषा समिति पूर्वोत्तर क्षेत्र के कार्यालयों का लगातार निरीक्षण कर रही है, अतः यह मान लेना गलत होगा कि किसी कार्यालय की उपस्थिति नजरअंदाज की जाएगी। उन्होंने सभी विभाग प्रमुखों से नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में 32 नराकास कार्यालय कार्यरत हैं, और कुछ तो ऐसे भी हैं जो ‘क’ श्रेणी के क्षेत्रों से बेहतर कार्य कर रहे हैं। राजभाषा के कार्यान्वयन में निरंतर सक्रिय भागीदारी ही इस समिति की सफलता की कुंजी है।
बैठक की शुरुआत असमिया गमछा, प्रतीक चिन्ह एवं स्मृति उपहार भेंट कर अतिथियों के स्वागत के साथ हुई। नराकास शिलचर के सदस्य सचिव डॉ. सौरभ वर्मा ने अपने स्वागत भाषण में कहा, “राजभाषा नीति का पालन करना हमारा संवैधानिक दायित्व है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी हिंदी को सरल एवं व्यावहारिक बनाने की दिशा में विशेष जोर दिया है, और यह बैठक उसी दिशा में एक सकारात्मक पहल है।”
असम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजीव मोहन पंत ने कहा कि “इस अहिंदीभाषी क्षेत्र में हिंदी को लेकर उत्साह देखकर गर्व होता है। हिंदी को जितना सरल और व्यवहारिक बनाएंगे, उसकी पहुंच उतनी ही व्यापक होगी। अब समय आ गया है कि हम भाषाई गुलामी की मानसिकता से मुक्त होकर अपनी राजभाषा को अपनाएं।”
एनआईटी शिलचर के निदेशक प्रो. दिलीप कुमार वैद्य ने कहा, “हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकता की पहचान है। राजभाषा के रूप में इसका प्रभावी कार्यान्वयन, देश की प्रतिष्ठा और एकता को मजबूती देगा।” उन्होंने सदस्य कार्यालयों से प्रोत्साहन योजनाएं बनाकर सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
इस अवसर पर राजभाषा विभाग के सहायक निदेशक देवानंद दास, केंद्रीय विद्यालय श्रीकोंना के प्रधानाचार्य संदीप शर्मा, केंद्रीय विद्यालय मासिमपुर के डॉ. हरपाल सिंह आदि वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
सभा में केंद्रीय विद्यालय संगठन के सहायक आयुक्त सतवीर सिंह, जवाहर नवोदय विद्यालय पैलापुल के प्रधानाचार्य विश्वास राणा, केंद्रीय विद्यालयों के प्रधानाचार्य किशोर कुमार पांडेय, सुनील गुप्ता, राकेश कुमार, अब्दुल हमीद, असम विश्वविद्यालय के सुरेंद्र उपाध्याय, पृथ्वीराज ग्वाला, सीमा सुरक्षा बल के प्रदीप चंद, खाद्य निगम के नरेंद्र कुमार, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के अनुराग शर्मा, पावर ग्रिड के रजनीश, जीवन बीमा निगम के अभिदीप पाल चौधरी, असम राइफल्स के विक्रम सिंह राजपूत, पंजाब नेशनल बैंक के सौरभ कुमार, ओएनजीसी के विपुल गुप्ता, रेलवे की प्रिया रानी दास, वायु सेना के अरविंद शर्मा, सी-डैक के गिरधारी शर्मा, इनकम टैक्स के गौतम दास तथा सर्वे आफ इंडिया के अवधेश वर्मा  जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में राजभाषा कार्यान्वयन से संबंधित समस्याओं पर चर्चा की गई और उनके समाधान के उपायों पर विचार-विमर्श हुआ। बैठक में भाग लेने वाले सभी सदस्यों ने हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता व्यक्त की।

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