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हाइलाकांदी का माटीजूरी पुल बना खतरे का संकेत, जर्जर हालत में यात्रा बनी चुनौती

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प्रीतम दास, हाइलाकांदि , 25 मई:  हाइलाकांदी शहर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित माटीजूरी पुल इन दिनों जर्जर हालत में अपनी दुर्दशा की कहानी खुद बयां कर रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह पुल विधायक जाकिर हुसैन के आवास से केवल एक किलोमीटर की दूरी पर है, फिर भी पिछले पांच वर्षों के कार्यकाल में इसका नवीनीकरण नहीं हो सका

मौत का जाल बना पुल, हर दिन जोखिम भरी यात्रा

हर सुबह जब स्थानीय लोग स्कूल, कॉलेज, अस्पताल या बाजार की ओर निकलते हैं, तो यह यात्रा किसी जंग से कम नहीं होती। माटीजूरी पुल की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि डेक और संरचना में दरारें साफ नजर आती हैं, जो कभी भी बड़ी दुर्घटना को न्योता दे सकती हैं

जनता में गुस्सा, जनप्रतिनिधि पर सवाल

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उन्होंने कई बार इस पुल की मरम्मत की मांग की, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। लोगों में विधायक की निष्क्रियता को लेकर गहरी नाराजगी है। सवाल उठता है कि जब विधायक आवास के समीप स्थित पुल की यह हालत है, तो दूर-दराज़ के क्षेत्रों की स्थिति कैसी होगी?

क्षेत्र की जीवनरेखा बन चुका है माटीजूरी पुल

यह पुल न सिर्फ हाइलाकांदी शहर को, बल्कि असम विश्वविद्यालय शिलचर और पूर्वी हाइलाकांदी के ग्रामीण क्षेत्रों को भी जोड़ता है। हजारों लोग रोज़ाना इस मार्ग का उपयोग करते हैं – किसी को इलाज के लिए शहर जाना होता है, तो कोई शिक्षा या रोज़मर्रा की जरूरतों के लिए। ऐसे में यह पुल इलाके की जीवनरेखा बन चुका है।

मानसून में खतरा और बढ़ेगा

स्थानीय लोगों को आशंका है कि आगामी मानसून में यह पुल कभी भी ध्वस्त हो सकता है, जिससे न केवल यातायात ठप होगा बल्कि जान-माल की क्षति भी हो सकती है। उनका साफ कहना है कि यदि शीघ्र मरम्मत कार्य नहीं हुआ, तो स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि जिम्मेदार होंगे

प्रशासन और सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग

स्थानीय नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्र संगठनों ने सरकार और जिला प्रशासन से तात्कालिक निरीक्षण और नवीनीकरण कार्य शुरू करने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि एक प्रतिनिधि अपने आवास के पास स्थित ऐसे महत्वपूर्ण पुल की अनदेखी कर सकता है, तो जनता की समस्याओं को कैसे समझेगा?

माटीजूरी पुल की स्थिति हाइलाकांदी की प्रशासनिक लापरवाही की जीती-जागती मिसाल बन चुकी है। यह केवल एक पुल नहीं, बल्कि एक ऐसा मुद्दा है जो स्थानीय लोगों के जीवन, सुरक्षा और विश्वास से जुड़ा है। यदि अब भी इसे गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह पुल आने वाले समय में एक बड़ा मानवीय संकट बन सकता है।

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