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काछाड़ में PWD विभाग में वर्षों से चल रही अनियमितता का पर्दाफाश, गढ़काप्तानी श्रमिक संघ ने खोला मोर्चा

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शिलचर, 26 मई — काछाड़ जिले के लोक निर्माण विभाग (PWD) में वर्षों से एक अवैध संगठन द्वारा सरकारी नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। ‘PWD एम्प्लॉयीज़ एसोसिएशन’ या ‘पूर्ण कार्यचरी संगठन’ के नाम से स्वयंभू संगठन दरअसल किसी भी वैध ट्रेड यूनियन के अंतर्गत नहीं आता। न ही इसका कोई राज्यस्तरीय या केंद्रस्तरीय मान्यता प्राप्त मंच से संबंध है।

जानकारी के अनुसार, यह तथाकथित संगठन वर्ष 1999 में सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत एक क्लब या स्वयंसेवी संस्था के रूप में पंजीकृत हुआ था, जिसकी वैधता वर्ष 2002 में समाप्त हो गई थी। इसके बाद आज तक संगठन का कोई वैध नवीनीकरण नहीं हुआ है। सरकारी कर्मचारियों के संगठन को मान्यता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि वह ट्रेड यूनियन अधिनियम अथवा असम सरकार के विशेष कानूनों के अंतर्गत पंजीकृत हो — जो इस संस्था के पास नहीं है।

इस अवैध संगठन का संचालन एक सेवानिवृत्त लिपिक पार्थसारथी डे द्वारा किया जा रहा है, जो सेवा निवृत्त होने के बावजूद “मुख्य सलाहकार” के रूप में विभाग में खुलेआम हस्तक्षेप कर रहे हैं और अनियमितताओं को बढ़ावा दे रहे हैं। उनके साथ कुछ अन्य सहयोगी भी इस कृत्य में संलिप्त हैं।

इस पर अब मोर्चा खोला है विभाग की एकमात्र वैध और सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त यूनियन गढ़काप्तानी श्रमिक संघ, असम ने। रविवार को शिलचर में आयोजित एक प्रेस वार्ता में संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने पार्थसारथी डे और उनके संगठन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि “अब यह सब और अधिक बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

संघ के केंद्रीय और जिला अध्यक्ष देबजीत देब राय ने मीडिया के समक्ष सभी वैध दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए कहा,

“हमारी यूनियन राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है और पूरे असम के प्रत्येक जिले में इसकी शाखाएँ हैं। यह 1967 में ट्रेड यूनियन अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत हुई थी और हाल ही में नवीनीकरण के लिए दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए हैं। हम सारा कुछ नियमों के अनुसार कर रहे हैं।”

उन्होंने चुनौती दी कि यदि पार्थसारथी डे का संगठन वैध है, तो वह भी अपने पंजीकरण से जुड़े सभी दस्तावेज सार्वजनिक करें। इसके साथ ही उन्होंने कई सवाल भी उठाए:

  • किस आधार पर वह संगठन चलाया जा रहा है?
  • क्या उनके पास ट्रेड यूनियन अधिनियम या राज्य सरकार की स्वीकृति है?
  • 1999 में पंजीकृत होने के बाद आज तक उसका नवीनीकरण क्यों नहीं किया गया?
  • जब वे ‘बराक वैली ज़ोन’ का दावा करते हैं, तो शिलचर के अलावा अन्य जिलों में उनकी शाखाएँ कहाँ हैं?

देबजीत देब राय ने यह भी याद दिलाया कि 2013 में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने इस अवैध संगठन के खिलाफ एक सख्त निर्देश जारी किया था, जिसके आधार पर विभाग के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता ने भी इस संगठन की सीमाएँ स्पष्ट कर दी थीं। लेकिन उसके बावजूद पार्थसारथी डे लगातार नियमों का उल्लंघन करते आ रहे हैं और समाचार माध्यमों का सहारा लेकर विभागीय कर्मचारियों तथा आम लोगों को गुमराह कर रहे हैं।

प्रेस वार्ता में यूनियन के अन्य वरिष्ठ सदस्य जैसे भास्कर भट्टाचार्य (कार्यकारी सदस्य), गणेंद्र पुरकायस्थ, दिलीप राय (संयुक्त सचिव), देवव्रत देव (उपाध्यक्ष), दोलन अहमद मजुमदार (जिला सचिव), सुरजीत चौधरी (जिला अध्यक्ष), निखिल सिन्हा (संगठन सचिव), रुस्तम अली आदि मौजूद रहे।

यूनियन ने स्पष्ट कर दिया कि यदि एक सप्ताह के भीतर पार्थसारथी डे का संगठन अपनी वैधता के दस्तावेज सार्वजनिक नहीं करता, तो वे कानूनी कार्रवाई के लिए मजबूर होंगे।

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